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वाटर गार्ड्स का मानदेय बढ़ा, एमआईएस योजना रहेगी लागू

शिमला, 16 जुलाई (वार्ता) हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिंचाई एवं जनस्वास्थय विभाग में कार्यरत जल रक्षकों का मानदेय 2100 रुपये से बढ़ा कर तीन हजार रूपये और पैरा फिटर और पैरा पम्प ऑपरेटर्स का मानदेय को तीन हजार रुपये से बढ़ा कर चार हजार रूपये करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले से 6220 जल रक्षक और करीब 500 पैरा फिटर और पैरा पंम्प ऑपरेटर लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। बैठक में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट की दस पद और उच्च न्यायालय में जजों के पांच पद भरने के प्रस्तावों को भी मंजूरी प्रदान की गई। मंत्रिमंडल ने फैसला लिया कि सेब उत्पादकों को पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एमआईएस योजना जारी रहेगी। इस योजना के तहत खरीद मूल्य 7.50 रुपये से बढ़ाकर 8.00 रुपये प्रति किलोग्राम करने का निर्णय लिया गया। बागवानों की सुविधा के लिए राज्य के विभिन्न भागों में 279 खरीद केंद्र खोले जाएंगे।
मंत्रिमंडल ने प्रदेश के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 100 एलपीडी और 200 एलपीडी की क्षमता के सौर वाटर हीटिंग सिस्टम इस्तेमाल पर 30 फीसदी सब्सिडी देने, राज्य में अनेक जगहों पर पटवार सर्किल खोलने, कंडा ग्राम पंचायत शिमला में डिस्पेंसरी खोलने, थुनाग के नलवाड़ मेले को जिला स्तरीय घोषित करने, मंडी के सलोट और सिरमौर के जमना सीनियर सेकेंडरी स्कूल में विज्ञान स्ट्रीम शुरू करने, मल्हारी-ठाकुरद्वारा और मकरोली कांगड़ा में कॉमर्स की स्ट्रीम शुरू करने, पांवटा साहिब कॉलेज में स्नातकोत्तर कक्षाएं शुरू करने और डॉ. यशवन्त सिंह परमार जयंती का राज्य स्तरीय समारोह चार अगस्त को शिमला में आयोजित करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिये।
सरकार ने डिजाईन तथा निर्माण प्रबन्धन के माध्यम से निर्माण अथवा गिराए गए भवनों के मलबे को पुनः उपयोग करने और निष्पादन के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वैस्ट नीति बनाने का निर्णय लिया। इससे खुले में इस प्रकार के मलबे को फैंकने से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं को रोकने में सहायता मिलेगी। नीति के तहत निर्माण और गिराए गए भवनों के मलबे के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। निजी ऑपरेटरों, एजेंसियों अथवा शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने इनके अलावा तीन ऊर्जा परियोजनाओं के पक्ष में इक्विटी में बदलाव लाने को स्वीकृति प्रदान की तथा यह भी निर्णय लिया गया कि सरकार की स्वीकृति के बिना हिस्से और नाम को न बदला जाए, ऐसा करने की स्थिति में जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया। परियोजना डेवेल्पर को सरकार से स्वीकृति लेने के लिए 60 दिनों की अवधि देने का भी निर्णय लिया गया जिसमें उन्हें कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
राज्य सरकार ने सीधी बिक्री तथा बहु-स्तरीय विपणन के व्यापार को नियंत्रित करने और उपभोक्ताओं के हितों एवं कानूनी अधिकारों की रक्षा तथा धोखाधड़ी को रोकने के लिए सीधी बिक्री तथा बहु-स्तरीय विपणन पर वर्तमान नियंत्रण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट डायरेक्ट सेलिंग गाईड लाइन्ज-2019 को भी स्वीकृति प्रदान की है।
रमेश2014वार्ता
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