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भारत


वित्तीय आपातकाल घोषित करने की अर्जी पर सुनवाई दो सप्ताह टली

नयी दिल्ली, 01 अप्रैल (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए 21 दिनों के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा के परिप्रेक्ष्य में वित्तीय आपातकाल लगाये जाने संबंधी याचिका की सुनवाई बुधवार को दो सप्ताह के लिए टाल दी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की खंडपीठ ने थिंक टैंक सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (सीएएससी) की याचिका की सुनवाई यह कहते हुए दो सप्ताह के लिए टाल दी कि इस पर सुनवाई का अभी सही वक्त नहीं है। इसे नियमित बेंच सुनेगी।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्यों और स्थानीय अधिकारियों द्वारा मनमानी कार्रवाई की जा रही है। देश में कानून के शासन को बनाए रखने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लगाया जाना जरूरी है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीएएससी की तरफ से पेश अधिवक्ता विराग गुप्ता ने दलील दी कि केंद्र सरकार ने गृह सचिव के माध्यम से एक अन्य मामले में न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट पेश की है, जिसके पैरा 54 और 55 में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी किए गए निर्देशों को राज्य सरकार माने, इसके लिए शीर्ष अदालत आदेश जारी करे।
याचिका में कहा गया है कि यह एक वैश्विक महामारी है जिससे जिला स्तर पर नहीं निपटा जा सकता, बल्कि इससे जनता और सरकार को मिलकर लड़ना चाहिए। याचिकाकर्ता ने अंतरिम उपाय के तौर पर उपयोगी सेवाओं यथा- बिजली, पानी, गैस, टेलीफोन, इंटरनेट के बिलों के संग्रहण और लॉकडाउन अवधि के दौरान देय ईएमआई भुगतान के निलंबन के लिए आवश्यक दिशानिर्देश दिए जाने का अनुरोध भी किया है। साथ ही, गृह मंत्रालय के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन के लिए राज्य पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित करने की भी मांग की गयी है, ताकि आवश्यक सेवाएं बाधित न हों।
याचिकाकर्ता का कहना है कि लॉकडाउन को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 या आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत अधिसूचना जारी करके या महामारी रोग अधिनियम 1897 के प्रावधानों के तहत प्रबंधित नहीं किया जा सकता। यह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी आपात स्थिति है और इसे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एकीकृत आदेश के अनुसार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार संबोधित किया जाना चाहिए। इसके लिए न केवल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीतना आवश्यक होगा, बल्कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी भी करनी होगी।
सुरेश.श्रवण
वार्ता
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