नयी दिल्ली, 22 मार्च (वार्ता) विश्व जल दिवस-2023 के अवसर पर बुधवार को आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वरा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘छोटे शहरों में प्रयुक्त किए जा चुके जल के प्रबंधन’ विषय पर विशेष बल दिया गया।
स्वच्छ टॉक वेबिनार श्रृंखला-पांच के तहत इस परिचर्चा में ‘परिवर्तन की गति बढ़ाना’ के विषय पर वक्ताओं ने जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए निवेश, नवाचार और प्रशासन में वृद्धि की आवश्यकता पर प्रकाश डाला । स्वच्छ टॉक में जल प्रबंधन परियोजनाओं के डिजाइन और निष्पादन में छोटे शहरों द्वारा चक्रीय अर्थव्यवस्था की सोच को अपनाने, सर्वोत्तम प्रयासों को प्रदर्शित करने की जरूतर पर बल दिया गया।
चर्चा में में एएससीआई, यूएसएआईडी, म्यूनिसिपल सिटी अधिकारी, पीएचई अधिकारी, निजी खिलाड़ी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। उपयोग की जा चुके जल के प्रबंधन संबंधी परियोजनाओं को गति और गुणवत्ता के साथ बढ़ाने पर भी यहां विस्तृत चर्चा हुई।
वर्ष 2026 तक सभी शहरों में सीवेज सुविधाएं स्थापित करने का लक्ष्य है।
मंत्रालय की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार इंदौर, सूरत, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), तिरुपति, चंडीगढ़, नवी मुंबई, विजयवाड़ा, हैदराबाद, ग्रेटर विशाखापत्तनम, कराड, पंचगनी, भोपाल, बारामती और मैसूर - इन शहरों में एक समानता है कि वह सभी पानी की दृष्टि से अच्छी स्थिति वाले शहर के रूप में प्रमाणित हैं।
ये 14 शहर स्थायी रूप से स्वच्छता और प्रयुक्त (इस्तेमाल किए हुए) जल के प्रबंधन की दिशा में उच्चतम मानकों को हासिल करने में सबसे आगे रहे हैं। ये शहर न केवल उपयोग किए गए पानी को एकत्रित करने और सुरक्षित रूप से उपचारित करने में सक्षम हैं, बल्कि दो से तीन स्तर पर उपचार के बाद पानी के पुन: उपयोग करने में भी सक्षम हैं।
मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बजट 2023-24 में टियर-2 और टियर-3 शहरों के लिए बुनियादी ढांचा विकास कोष (यूआईडीएफ) पर ज़ोर दिया गया है। बजट में चक्रीय अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को साकार करने की प्रतिबद्धता और इसमें ‘आने वाले कल के लिए स्वस्थ्य शहरों’ के विषय पर ज़ोर देते हुए वेस्ट टू वेल्थ (कचरे से कंचन) की ओर भी ध्यान केंद्रित करता है।
गौरतलब है कि भारत में सार्वभौमिक स्तर पर स्वच्छता की पहुंच का लक्ष्य हासिल करने के प्रयासों में तेज़ी लाने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। मंत्रालय का कहना है इससे पिछले आठ वर्षों में भारत ने शहरी स्वच्छता की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन देखा है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0, जिसे एक अक्टूबर, 2021 के दिन प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा ‘कचरा मुक्त शहर’ बनाने के बड़े विज़न के साथ शुरू किया गया था। इसमें एक लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए एक नए वित्त पोषण करने वाले घटक के रूप में प्रयुक्त जल प्रबंधन की शुरुआत की गयी। मंत्रालय द्वारा संचालित अमृत और अमृत 2.0 मिशन के साथ एसटीपी स्थापित करने और शहरों में वॉटर ट्रीटमेंट और रीसाइक्लिंग ईकोसिस्टम बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है।
सरकारें गंगा के किनारे के शहरों में जल शक्ति मंत्रालय के तहत नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर में काम कर रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में दैनिक 492 करोड़ लीटर की क्षमता वाले सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) की स्थापना के लिए 11,784.81 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।
मनोहर.संजय
वार्ता