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विश्व शान्ति के लिए देवधुन से गूंजी देवभूमि, बना रिकार्ड

कुल्लू, 13 अक्तूबर (वार्ता) हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी का सम्पूर्ण वातावरण आज उस समय धार्मिक उत्साह और दिव्यता से भर गया, जब अन्तरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव के अवसर पर 2200 से अधिक बजंतरियों (पारम्परिक वाद्य यंत्र वादकों) ने यहां के अटल सदन मैदान में सामूहिक रूप से देव धुन बजाई।
मुहल्ला के दिन मुख्यमंत्री के आगमन पर विश्व शांति के लिए इस देवधुन का आयोजन किया गया। देव धुन वह ध्वनि है, जिसे पारम्परिक लोक वाद्यों पर उस समय बजाया जाता है जब देवी-देवता किसी क्षेत्रीय उत्सव में शामिल होने के लिए अपने देवालयों से बाहर निकलते हैं। इसके इलावा विश्व के सबसे बड़े देवसमागम में पहली बार बजने वाली देवुधन के दौरान ऊँ जय जगदीश हरे यानी आरती भी गाई गई। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे।
इण्डिया बुक आफ रिकार्ड के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री को एक मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया, क्योंकि 2200 से अधिक बजंतरियों द्वारा एक साथ वाद्य यंत्रों पर देव धुन बजाने का कीर्तिमान स्थापित हुआ है, जिसे इंडिया बुक आफ रिकार्डस में दर्ज किया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह प्रदेश के लोगों और विशेषकर कुल्लू जिला के लोगों के लिए सम्मान की बात है कि 2200 बजंतरियों द्वारा एक ही स्थान पर पारम्परिक वाद्य यन्त्रों पर बजाई गई ‘देवधुन’ रिकार्ड में शामिल की गई है। उन्होंने बजंतरियों के इस प्रयास की सराहना की।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से होते रहे हैं और विशेषकर यह अन्तरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का आकर्षण बने। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है और हमारी पुरातन् संस्कृति और समृद्ध परम्पराएं धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे संस्कृति के संरक्षण के लिए आगे आएं। उन्होंने इस अवसर पर बजंतरियों को अपनी ऐच्छिक निधि से पांच लाख रुपये देने की घोषणा की जिन्होंने देव धुन में भाग लिया।
सं शर्मा
वार्ता
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