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विश्वविद्यालय की भूमिका रोजगारपरक शिक्षा पर होनी चाहिए-उइके

विश्वविद्यालय की भूमिका रोजगारपरक शिक्षा पर होनी चाहिए-उइके

जगदलपुर, 20 फरवरी (वार्ता) छत्तीसगढ़ केे राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके ने कहा कि शिक्षा वस्तुत: संस्कार है जिससे मनुष्य जीवन को एक दृढ़ आधारभूमि मिलती है।

सुश्री उइके आज बस्तर विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में कहा कि सामान्यतः लोग शिक्षा को रोजगार से जोड़कर देखते हैं और मूल्यांकन का आधार रोजगार को बनाते हैं। शिक्षा वस्तुतः संस्कार है, जिससे मनुष्य-जीवन को एक दृढ़ आधारभूमि मिलती है। जीवन-यापन के लिए जीविका तो चाहिए ही, परंतु संस्कार के बिना मनुष्य की अर्थवता साबित नहीं होती। यहां शिक्षा से तात्पर्य विद्यालय या महाविद्यालय अथवा विश्वविद्यालय की शिक्षा मात्र नहीं है, वरन् वह जो आजीवन चलती है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी भाईयों एवं बहनों के पास जो संस्कार हैं, वह किसी भी दृष्टि से पढ़े-लिखे व्यक्ति के संस्कार से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित करने में जो ज्ञान मिलता है, वह किताबों में संभवतः अभी पूरा नहीं आ पाया है। आदिवासी भाई-बहनों के पास जो कौशल है, वह किसी पाठक्रयम में शामिल नहीं हो पाया है। शिक्षा संस्कार के साथ-साथ कौशल-विकास का माध्यम है और जिस युवा में शिक्षा प्राप्त करने के बाद कौशल है, तो वह बेरोजगार भला कैसे हो सकता है। बस्तर वनोपज, कला और खनिज संसाधन से सम्पन्न है। इस दिशा में विश्वविद्यालय की भूमिका रोजगारपरक शिक्षा की उपलब्धता पर होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि बस्तर विश्वविद्यालय में अधिक से अधिक रोजगारपरक पाठयक्रम संचालित किये जाएंगे, ताकि बस्तर अंचल के युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सफलता कोई बिन्दु नहीं है, जिसे छूकर हम धन्य हो जाएं। वृक्ष एक बार फल देकर सफल नहीं होता है, बल्कि हर वर्ष फल देता है। सफलता एक निरंतर यात्रा है, जो कभी समाप्त नहीं होती। जो बाधाओं से डर कर यात्रा रोक देते हैं, वे सही यात्री नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय से दीक्षित युवा अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल होंगे और समाज में अपनी वास्तविक भूमिका का निर्वाह कौशल के साथ करेंगे। उन्होंने युवाओं से कहा कि हमने जो कुछ भी पाया है, वह अपने परिवार, समाज, प्रांत और देश से पाया है, अतः हम सबका यह कर्तव्य है कि उसे किसी न किसी रूप में समाज को लौटाएं। हमें अपनी सोच, दृष्टि और सीमा को बढ़ाना या फैलाना होगा। व्यक्तिगत उन्नति या प्रगति तभी सार्थक है, जब वह समूह को भी प्रेरित या लाभान्वित करें।

दीक्षांत समारोह में 200 मेधावी छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री तथा प्रभारी मंत्री जिला बस्तर डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, सांसद बस्तर दीपक बैज, सांसद कांकेर लोकसभा क्षेत्र मोहन मंड़ावी, विधायक जगदलपुर रेखचन्द जैन, आदि उपस्थित थे।

करीम नाग

वार्ता

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