राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Sep 20 2020 6:42PM शिअद ने राष्ट्रपति से कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने की अपील कीचंडीगढ़, 20 सितंबर (वार्ता) शिरोमणी अकाली दल ने आज भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया कि वह किसानों की उपज मंडीकरण पर संसद में पारित विधेयकों पर अपनी मंजूरी की मुहर न लगाएं। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने राष्ट्रपति से एक याचिका में अनुरोध किया है कि वह जरूरत की घड़ी में परेशान और मेहनत करने वाले किसानों, खेत मजूदरों (खेत मजदूरों), मंडी मजदूरों और दलितों के साथ खड़े हों। श्री बादल के अनुसार किसान, खेत व मंडी मजदूर शोषण का सामना कर रहे हैं और यह राष्ट्रपति पर निर्भर है कि देश के सर्वोच्च कार्यकारी के रूप में वह अपने विवेक का प्रयोग करें और इन विधेयकों पर हस्ताक्षर न करके उनके बचाव में आएं ताकि अधिनियम पर अंतिम कार्रवाई न हो। श्री बादल ने कहा, ‘इसमें नाकाम रहने पर गरीब और दलित और उनके आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नही करेंगी।“ श्री बादल ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वह विधेयकों को पुनर्विचार के लिए संसद को भेजें। राज्यसभा में आज विधेयक पारित होने के साथ ही अब राष्ट्रपति के पास उनके हस्ताक्षरों के लिए जाएंगे। उसके बाद ही ये विधेयक अधिनियम बन जाते हैं। शिअद अध्यक्ष ने कहा कि अब भी समय है कि कोविड-19 महामारी के इस समय में जब देश को अर्थव्यवस्था, सामाजिक स्थिरता, शांति और सद्भावना की आवश्यकता है, इस पर पुनर्विचार किया जाए। श्री बादल ने कहा कि संविधान के निर्माताओं ने उनके समक्ष लाए गए किसी भी कानून के सभी पहलुओं पर पूरी तरह विचार करने के बाद राष्ट्रपति के हस्तक्षेप के लिए यह प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति संसद से सरकार के किसी भी निर्णय पर राष्ट्रीय सहमति न बनने की स्थिति में अपने निर्णय पर पुनर्विचार और पुनरावलोकन के लिए कह सकते हैं क्योंकि वर्तमान कानून देश की 80 फीसदी से अधिक आबादी के प्रत्यक्ष और शेष 20 फीसदी परोक्ष रूप से वर्तमान और भविष्य पर सवालिया निशान लगाता है। श्री बादल ने कहा कि ‘लोकतंत्र बहुसंख्यक उत्पीड़न के बारे में नहीं बल्कि परामर्श, सुलह और आम सहमति के बारे में है। संसद की आज की कार्यवाही में तीनों लोकतांत्रिक गुणों की अनदेखी की गई है।“महेश विक्रमवार्ता