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शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का कार्य प्राथमिकता से करें:शिवराज

भोपाल, 06 दिसम्बर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने का कार्य हमारी प्राथमिकता है। इस एजेंडा की प्राथमिकता को ध्यान में रखकर परिवार कल्याण अभियान के माध्यम से लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाना जरूरी है।
श्री चौहान आज मंत्रालय में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने की कार्य-योजना की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कलेक्टर शिशु एवं मातृ मृत्यु दर के एजेंडा की जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में प्रतिमाह मॉनिटरिंग करें। जिले के प्रभारी मंत्री भी इस एजेंडा की सतत रूप से समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि जिला स्वास्थ्य समिति सहित अन्य सभी समितियों की बैठकें प्रभावी हों, जिससे सकारात्मक परिणाम सामने आएँ। बैठकें सिर्फ चाय-नाश्ता तक ही सीमित न रहें।
जिले की ग्रेडिंग निर्धारित करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने के संबंध में पैरामीटर बनाएँ। आकांक्षी जिले की तर्ज पर जिले की ग्रेडिंग निर्धारित करें। उन्होंने कहा कि उपलब्धि के आधार पर ही कलेक्टर की सी.आर. निर्धारित की जायेगी। अच्छा कार्य करने वालों की सराहना एवं खराब उपलब्धि पाए जाने पर कार्यवाही होगी।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में नवजात शिशु और माता की मृत्यु के ऑडिट की कार्य-योजना बनाई जाये। इससे मृत्यु का कारण तो पता चलेगा ही साथ ही उसके निवारण की दिशा में प्रयास भी तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं और माताओं की जिंदगी बचाना सबसे बड़ा पवित्र कार्य है। परिवार कल्याण की गतिविधियों में आशा और एएनएम गृह भेंट कर माताओं को विभिन्न प्रकार की सावधानी रखने की समझाइश दें। स्टाफ नर्स और सीएचओ को भी प्रेरित करें। प्रसव पूर्व और बाद की गतिविधियों की भी नियमित रूप से मॉनिटरिंग सुनिश्चित हो।
श्री चौहान ने कहा कि शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करने के प्रयासों में आरसीएच पोर्टल का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जाए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विकसित इस पोर्टल में समस्त गर्भवती महिलाओं के पंजीयन, प्रसव पूर्व जाँच, प्रसव परिणाम एवं नवजात के जन्म के समय की स्थिति संबंधी समस्त जानकारी संधारित किए जाने का प्रावधान है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिशु स्वास्थ्य की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण सूचकांकों को चिन्हित कर जिलों की मासिक ग्रेडिंग की जाए और जिला स्वास्थ्य समितियों का उन्मुखीकरण किया जाए। प्रत्येक नवजात की मृत्यु का समुदाय आधारित ऑडिट, संस्था आधारित ऑडिट तथा जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा ऑडिट किया जाए। समस्त प्रसव केंद्रों पर उपकरणों, दवाइयों तथा आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सजीव ट्रेकिंग व्यवस्था बनाई जाए। प्रसव केंद्रों पर पदस्थ स्टाफ नर्सों को नवजात शिशु प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाए।
श्री चौहान ने निर्देश दिए है कि आशा, आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा की जाने वाली गृह भेंटों का पर्यवेक्षण किया जाए।
हाई रिस्क नवजातों के चिन्हांकन तथा समयबद्ध एवं रेफरल हेतु सीएचओ का दायित्व निर्धारण किया जाए। विभाग इन सभी सूचकांकों पर सीएचओ की ग्रेडिंग करते हुए उनके कार्य आधारित मूल्यांकन की व्यवस्था करें। जिला स्तर पर शिशु और मातृ स्वास्थ्य के संबंध में पर्याप्त उन्मुखीकरण एवं नियमित समीक्षा की जाना सुनिश्चित की जाए। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण सेवाओं की सतत उपलब्धता के लिए रणनीति बनाई जाए।
इसी तरह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए गर्भावस्था का पंजीयन में विलंब न हो। प्रसव पूर्व सभी जाँचें सुनिश्चित हों। हीमोग्लोबिन की सटीक जाँच एवं आयरन और फोलिक एसिड की गोलियाँ समय पर दी जाएँ।
प्रसूति सहायता योजना में पोषण आहार के रूप में मिलने वाली चार हजार रूपए की राशि प्रेग्नेंसी के दौरान समय पर दी जाए। मैदानी कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। जन्म के प्रथम एक घंटे में शिशु को माँ का दूध पिलाने की समझाइश दी जाए।
इसके अलावा पहले बच्चे के जन्म के बाद दूसरे बच्चे के जन्म का अंतराल बढ़ाने के लिए अच्छे ढंग से माता-पिता को जागरूक करने एवं काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए। दीवार पर स्लोगन लेखन के माध्यम से जागरूकता के प्रयास किए जाएँ।
बैठक में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
नाग
वार्ता
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