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सीमा पर रोके गये नागरिक घर जाने को लेकर परेशान

बड़वानी 2 अप्रैल (वार्ता) लॉक डाउन के चलते सील कर दिए जाने के उपरांत मध्यप्रदेश की सीमा में रोके गए महाराष्ट्र व अन्य प्रांतों के लोगों को विभिन्न सरकारों द्वारा प्रवेश की अनुमति नहीं किए जाने के चलते दिक्कतें पैदा हो रही हैं।
मध्य प्रदेश महाराष्ट्र सीमा पर बड़वानी जिले के बिजासन पर चेक पोस्ट लगाकर विभिन्न प्रांतों के नागरिकों को रोका जा रहा है तथा उन्हें सेंधवा के बाहरी इलाकों में बने शासकीय भवनों (शेल्टर हाउस) में ठहराया जा रहा है।
बड़वानी के जिला कलेक्टर अमित तोमर ने बताया कि निश्चित तौर पर लोगों को होम सिकनेस लग रही है और वह दुखी हैं, लेकिन फिलहाल हमारे पास इन्हें यहीं पर रोके रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। राजस्थान की सीमा पूरी तरह से सील है, और यह लोग यदि यहां से आगे निकल भी जाते हैं तो अपने गांव तक नहीं पहुंच सकेंगे। उन्होंने बताया है कि सरकार की ओर से फिलहाल इसी तरह के निर्देश मिले हैं कि इन्हें यहां ठहरा कर उचित स्वास्थ्य सुविधाएं, भोजन व्यवस्थाएं प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि आसपास के संलग्न जिलों के लोगों को धीरे धीरे भेजा जा रहा है।
राजस्थान के नागौर जिले के हरेंद्र ने बताया कि वह महाराष्ट्र के पुणे से अपने दुपहिया वाहन पर वापस राजस्थान लौट रहे थे लेकिन उन्हें सीमा पर रोक लिया गया और एक शासकीय हॉस्टल में ठहरा दिया गया। उनके साथी प्रकाश जाट और धर्मा लाल जाट ने बताया कि वे सब पुणे में बढ़ई गिरी का काम करने गए थे लेकिन अब यहां आकर फंस गए हैं और वह किसी भी सूरत में अपने गृह ग्राम वापस जाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के भी कई लोग यहां रुके हुए हैं जो महाराष्ट्र से पैदल आए हुए थे।
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिला (गोरखपुर मण्डल) निवासी प्लम्बर मनोज कुमार का कहना है कि वह और उनके आठ अन्य साथी एक वाहन से मुंबई से निकले थे किंतु उन्हें यहां रोक लिया गया। उनका व उनके अन्य साथियों अमरजीत, सोनू, संतोष व जनार्दन का कहना है कि यहां पर उन्हें जेल जैसा महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि वाहन से आने वाले लोगों को जाने दिया जाए तथा पैदल यात्रियों को रोककर उनकी अन्य व्यवस्था की जाए।
सेंधवा के अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) तरुणेंद्र सिंह बघेल ने स्वीकार किया कि चार स्थानों पर रोके गए 15 सौ से अधिक लोग घर जाने के लिए परेशान हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न सरकारों, खासतौर पर राजस्थान द्वारा प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने से दिक्कत पैदा हो रही है। उन्होंने बताया कि दक्षिण और महाराष्ट्र की ओर से बड़ी संख्या में राजस्थान के लोग आकर ठहरे हुए हैं और प्रशासन के प्रयासों के बावजूद कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के मद्देनजर उनकी सोशल डिस्टेंसिंग व स्वास्थ्य परीक्षण में व्यवहारिक दिक्कतों की शिकायतें आ रही है।
सेंधवा के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) घनश्याम धनगर ने बताया कि वायरस की चेन को तोड़ने के लिए महाराष्ट्र और राजस्थान के श्रमिकों तथा अन्य लोगों को सेंधवा के आसपास के चार छात्रावासों में ठहराया गया है और विभिन्न सामाजिक संगठनों की मदद से निशुल्क रूप से आवश्यक व्यवस्थाएं की गयीं हैं। उन्होंने बताया कि उच्च स्तर पर इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
सं नाग
वार्ता
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