नयी दिल्ली 29 मई (वार्ता) सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, सेना उप प्रमुख और नौसेना तथा वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यहां 75 वें अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सेना दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
वर्ष 1948 में इस दिन फिलिस्तीन में पहला संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन अभियान शुरू हुआ था।
संयुक्त राष्ट्र और दुनिया भर के देशों में हर वर्ष इस दिन उन सभी पुरुषों और महिलाओं को पेशेवर कार्यों, समर्पण और साहस के लिए श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सेवा की है या सेवा कर रहे हैं। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।
भारत की संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान की समृद्ध विरासत रही है और वह इन अभियानों में सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश है। भारत ने अब तक शांति अभियानों में लगभग 2,75,000 सैनिकों को भेजा है। अभी विभिन्न जगहों पर 12 संयुक्त राष्ट्र मिशनों में लगभग 5,900 सैनिक तैनात हैं। भारतीय जवानों ने चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी काम किया है और संयुक्त राष्ट्र के आदेशों की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने की सीमा तक अनुकरणीय पेशेवर रूख, मानवीय दृष्टिकोण, साहस और वीरता का प्रदर्शन किया है। भारतीय सेना के 159 जवानों ने पूरी दुनिया में शांति स्थापना सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।
संयुक्त राष्ट्र शासनादेश के तहत अशांत क्षेत्रों में महिला शांति सैनिकों की आवश्यकता को देखते हुए भारत ने मोनस्को और यूनिस्फा (लाइबेरिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा महिला दस्ता) में महिला सैनिकों की तैनाती की हैं। भारत ने महिला सैन्य पुलिस और विभिन्न मिशनों में महिला अधिकारियों तथा सैन्य पर्यवेक्षकों को भी तैनात किया है।
भारतीय सेना ने शांति अभियानों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के वास्ते संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र की स्थापना की है। इस केंद्र में प्रति वर्ष 12,000 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित किया जाता है। यह केन्द्र संभावित शांति सैनिकों और प्रशिक्षकों के लिए आकस्मिक प्रशिक्षण से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों के तहत कई तरह की प्रशिक्षण गतिविधियाँ आयोजित करता है।
संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भारतीय दस्तों की संचालन दक्षता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना ने अत्याधुनिक उपकरण और वाहन भी तैनात किए हैं। ये वाहन और उपकरण भारत में ही बनाये गये हैं और इन्होंने शांति मिशन क्षेत्रों के दुर्गम इलाकों, कठिन मौसम तथा विषम परिचालन स्थितियों की अनिश्चितताओं का भी सफलतापूर्वक सामना किया है।
भारत संयुक्त राष्ट्र, मेजबान देशों और साझेदार देशों के लिए क्षमता विकास के क्षेत्र में भी बढ चढ कर योगदान देता रहा है।
संजीव
वार्ता