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सूरजमुखी किसानों को 29.13 करोड़ रुपये की अंतरिम भावांतर भरपाई राशि

चंडीगढ़, 10 जून (वार्ता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के सूरजमुखी किसानों को शनिवार को बड़ी राहत देते हुए 36414 एकड़ के लिए 8528 किसानों को अंतरिम भावांतर भरपाई राशि के रूप में 29 करोड़ 13 लाख 12 हजार रुपये की राशि डिजीटल माध्यम से उनके खातों में जारी की।
श्री खट्टर ने एक संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट किया कि सूरजमुखी उत्पादक किसानों के लिए सरकार सकारात्मक निर्णय लेगी। बाजार मूल्य के बारे में एक विस्तृत अध्ययन चल रहा है और यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार एक अहम घोषणा करेगी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसानों में यह भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार को किसानों की परवाह नहीं है, जो पूरी तरह गलत है। सरकार किसानों के साथ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने किसान हितैषी नीतियां शुरू की हैं और जो वित्तीय सहायता दे रही हैं, वह पिछली सरकारों की तुलना में बहुत अधिक है। प्रधानमंत्री ने किसानों के कल्याण के लिए उल्लेखनीय काम किया है। हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार किसान हितैषी है।
एमएसपी को लेकर सूरजमुखी किसानों और सरकार के बीच चल रहे विवाद को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सरकार ने एमएसपी पर बाजरा खरीदा, तो पता चला कि दूसरे राज्यों के किसान भी अपना बाजरा राज्य की मंडियों में बेच रहे हैं। इससे अंतरराज्यीय तस्करी का मुद्दा पैदा हो गया। अब सूरजमुखी की खरीद में भी ऐसी ही सम्भावना पैदा हो रही है, इसलिए एहतियात के तौर पर हमने अंतरिम भरपाई की घोषणा की है, क्योंकि बाजार की दरों में उतार-चढ़ाव बना रहता
है। उन्होंने कहा कि पहली बार सूरजमुखी की फसल की खरीद उनकी सरकार ने ही शुरू की थी। गत पांच वर्षों से सरकार सूरजमुखी की खरीद कर रही है। वर्तमान में, हरियाणा में 4800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सूरजमुखी की खरीद की जा रही है, जबकि पंजाब में यह खरीद 4000-4200 रुपये प्रति क्विंटल में हो रही है। इसलिए संदेह है कि पंजाब से भी हरियाणा की मंडियों में फसल आ सकती है।
श्री खट्टर ने कहा कि पोर्टल पर किसानों ने सूरजमुखी फसल के लिए 40 हजार एकड़ क्षेत्र पंजीकृत किया था। किसानों की मांग पर सरकार ने तीन दिन के लिए पोर्टल फिर से खोला, ताकि कुछ बचे हुए किसानों को भी मौका मिल सके। इन तीन दिनों के दौरान लगभग 17,000 एकड़ क्षेत्र का फिर से पंजीकरण कराया गया। यह पाया गया कि पंजीकरण उस भूमि पर भी किया गया था जहां गेहूं जैसी कोई अन्य फसल भी बोई गई थी। सत्यापन के बाद लगभग 9000 एकड़ क्षेत्र को हटाया गया और लगभग 6000 एकड़ का सत्यापन अभी चल रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की कुछ राजनीतिक लोग और किसान संगठन किसान शब्द को लेकर राजनीति कर रहे हैं और किसानों को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। इसलिए किसान ऐसे लोगों के बहकावे में न आएं।
किसानों द्वारा हाल ही में राजमार्ग जाम किये जाने को लेकर उन्होंने कहा कि राजमार्ग अवरुद्ध करना किसी बात का समाधान नहीं है। लोकतंत्र में किसी की स्वतंत्रता में बाधा नहीं डाल सकते। सरकार ने किसानों के साथ सकारात्मक बातचीत की है। अदालत की ओर से रास्ता खाली कराने का आदेश दिया गया था और पुलिस ने अदालत के फैसले का पालन किया। उनके अनुसार वर्तमान राज्य सरकार ने किसानों को सब्सिडी और मुआवजे के तौर पर लगभग 23,500 करोड़ रुपये की राशि दी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4287 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 6189 करोड़ रुपये, पराली प्रबंधन के लिए 103 करोड़ रुपये, फसल विविधीकरण के लिए 118 करोड़ रुपये और भावांतर भरपाई योजना के तहत 883 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसी तरह मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन योजना के तहत 259 करोड़ रुपये, भेड़-बकरी पालकों को 226 करोड़ रुपये और देसी गायों की मिनी डेयरी के लिए 83 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इनके अलावा, किसानों को कई अन्य प्रकार के लाभ भी दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस शासनकाल से तुलना करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अभी तक 9790 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में दिए हैं जो कांग्रेस के दस साल के शासन में दिये गये 1158 करोड़ रुपये से आठ गुना अधिक हैं। कांग्रेस सरकार में किसानों को दो-दो रुपये के मुआवजे के चेक मिलते थे। जबकि हमने किसानों को कम से कम 500 रुपये का न्यूनतम मुआवजा सुनिश्चित किया है, भले ही एक एकड़ में कितने ही हिस्सेदार हों।
जल संग्रहण के लिए सरकार के प्रयासों के बारे जानकारी देते हुये श्री खट्टर ने कहा कि 4000 ऑन-फार्म वाटर टैंक बनाए गए हैं, जिनसे लगभग 20,000 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई का लाभ मिल रहा है। जन संवाद कार्यक्रमों में भी लोगों ने सरकार की इस पहल की सराहना की और कहा कि किसान अपनी ओर से भी इस दिशा में पहल करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि गत पांच वर्षों में नहरी जल प्रणाली के पुनर्निर्माण और नवीनीकरण के लिए 1500 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
रमेश.श्रवण
वार्ता
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