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स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी का बड़ा बाजार बन रहा है भारत, जी7 के लिए निवेश का अवसर-मोदी

म्यूनिख/नई दिल्ली, 27 जून (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जी -7 के विकसित देशों से जलवायु प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने के भारत के राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के लिए एक बड़ा बाजार बन कर उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि जी-7 देश इस क्षेत्र में भारत में अनुसंधान , नवाचार और विनिर्माण जैसे कामों के लिए निवेश कर सकते हैं।
जर्मनी में श्लॉस एल्माऊ में जी-7 की शिखर बैठक में -'अच्छे भविष्य के लिए निवेश: जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य' विषय पर पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद भारत वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में सिर्फ पांच के लिए उत्तरदायी है। इसका मुख्य कारण भारतीयों की जीवन शैली है जो प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।
श्री मोदी ने कहा , हमारी जलवायु प्रतिबद्धताओं के प्रति हमारा समर्पण हमारे कामों से स्पष्ट है। हमने बिजली की स्थापित क्षमता 40 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों आधारित करने का लक्ष्य तय समय से नौ साल पहले हासिल कर लिया है।
पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल-मिश्रण का लक्ष्य समय से पांच महीने पहले हासिल कर लिया गया है। भारत में दुनिया का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है। इस दशक में भारत की विशाल रेलवे प्रणाली में कार्बन उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य हो जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत जैसा बड़ा देश ऐसी महत्वाकांक्षा दिखाता है, तो अन्य विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है।’ उन्होंने कहा , ‘हमें उम्मीद है कि जी-7 के अमीर देश भारत के प्रयासों का समर्थन करेंगे। आज भारत में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी का एक बड़ा बाजार उभर रहा है। जी-7 देश इस क्षेत्र में अनुसंधान , नवप्रवर्तन और विनिर्माण के कामों में निवेश कर सकते हैं। भारत हर नई तकनीक के लिए इतने बड़े पैमाने के कारोबार करने का अवसर प्रदान कर सकता है उससे वह तकनीक पूरी दुनिया के लिए सस्ती हो सकती है।”
श्री मोदी ने कहा कि पुनर्चक्रण पर आधारित अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांत भारतीय संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग रहे हैं।”
श्री मोदी ने ‘ लाइफ’ - यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट - आंदोलन पर भी जोर दिया, जिसे खुद मोदी ने पिछले वर्ष ब्रिटेन में ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन कॉप 26 में प्रस्तावित किया था।
उन्होंने कहा कि इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर लाइफ अभियान की शुरुआत की। “इस अभियान का लक्ष्य पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहित करना है। हम इस आंदोलन में शामिल लोगों ट्रिपल-पी यानि 'प्रो प्लेनेट पीपल' (हमारे ग्रह के मित्र लोग) कह सकते हैं। उन्होंने कहा हम सभी को अपने-अपने देशों में ऐसे ट्रिपल-पी लोगों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारा सबसे बड़ा योगदान होगा।"
उन्होंने वन वर्ल्ड, वन हेल्थ पहल का उल्लेख किया और कहा कि महामारी के दौरान, भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का उपयोग करने के कई रचनात्मक तरीके खोजे हैं। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि जी7 देश इन नवाचारों को अन्य विकासशील देशों में ले जाने में भारत की मदद कर सकते हैं।
श्री मोदी ने यह भी कहा कि योग दुनिया भर के लोगों के लिए रोग-निवारक स्वास्थ जीवन प्रणाली के लिए एक महान उपकरण बन गया है, और कई लोगों को महामारी के समय में अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में योग से मदद मिली है।
पारंपरिक चिकित्सा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सहित दुनिया के कई देशों में पारंपरिक चिकित्सा की अमूल्य संपत्ति है, जिसका उपयोग समग्र स्वास्थ्य के लिए किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा , “मुझे खुशी है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में अपना ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित करने का फैसला किया है। यह केंद्र न केवल पूरी दुनिया में विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का केंद्र बनेगा बल्कि इस क्षेत्र में और अधिक शोध को प्रोत्साहित करेगा। इससे दुनिया के सभी नागरिकों को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले कहा कि दुर्भाग्य से ऐसी धारणा बनायी गयी है कि दुनिया के विकास लक्ष्यों और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक बुनियादी टकराव है। उन्होंने कहा, “एक और गलत धारणा यह भी है कि गरीब देश और गरीब लोग पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन, भारत का हजारों वर्षों से अधिक का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। प्राचीन भारत ने अपार समृद्धि का समय देखा है; तो हमने सदियों की गुलामी भी सहन की है, और अब स्वतंत्र भारत पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि इस इस पूरी अवधि के दौरान, भारत ने पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को थोड़ा भी कमजोर नहीं होने दिया।
उन्होंने तेल और गैस की उपलब्धता के मामले में विकसित देशों के नजरिए पर तंज भी कसा। प्रधानमंत्री ने कहा ,
आप सभी भी इस बात से सहमत होंगे कि ऊर्जा का उपयोग केवल अमीरों का ही विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए- एक गरीब परिवार का भी ऊर्जा पर समान अधिकार है, और आज जब कि भू-राजनीतिक तनावों के कारण तेल की लागत आसमान छू रही है, तो इस बात को याद रखना और भी जरूरी है।
मनोहर जांगिड़
वार्ता
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