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स्वच्छ ऊर्जा समाधान अपनाने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे: बाकरे

स्वच्छ ऊर्जा समाधान अपनाने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे: बाकरे

नयी दिल्ली, 27 जून (वार्ता) विशेषज्ञों ने छोटी एवं मझौली इकाइयों को स्वच्छ ऊर्जा का विकल्प अपनाने के लिए प्रौद्योगिकी और वित्त की पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराने की सिफारिश की है और कहा है कि इस क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा समाधान लागू करने से रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होंगे।

विश्व एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम) दिवस पर वर्ल्ड रिसॉर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया (डब्ल्यूआरआईआई) ने इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल कम्यूनिटीज (आईएससी) के सहयोग से भारत के लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) के लिए ‘स्वच्छ ऊर्जा और न्यायसंगत परिवर्तन’ विषय पर यहां सोमवार को एक सम्मेलन आयोजित किया जिसमें इस क्षेत्र के लिए स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रगति की खातिर प्रौद्योगिकी और वित्त की सुलभता के तरीकों पर चर्चा हुई।

सम्मेलन का उद्देश्य अर्थव्यवस्था और सतत विकास में इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान के प्रति इकाइयों में जागरुकता भी पैदा करना था।

इसमें चर्चा हुई कि छोटे व्यवसायों के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधान संक्रमण सामाजिक रूप से न्यायसंगत भी होने चाहिए।

वक्ताओं ने कहा कि छोटे व्यवसायों के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधान के लिए संक्रमण में तेजी लायी जा सकती है।

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशियंसी के महानिदेशक अभय बाकरे ने देश के एमएसएमई क्षेत्र की प्रशंसा करते हुए कहा,“ हमारे लिए, एसएमई क्षेत्र हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हमें विश्वास है कि हम एसएमई क्षेत्र के लिए जो कुछ भी करते हैं, उससे भारत द्वारा स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग में लाने के तरीके को आकार मिल सकेगा। ”

एक सत्र का संचालन करते हुए, आईएससी निदेशक (भारत) विवेक अधिया ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भारत के छोटे व्यवसायों के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी के रास्ते मौजूद हैं, लेकिन वे एमएसएमई क्षेत्र की विशिष्ट क्लस्टर-विशेष की आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

सम्मेलन में डब्ल्यूआरआईआई मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ओ पी अग्रवाल ने कहा,“ भारत, देश के 6.3 करोड़ लघु व्यवसायों के मजबूत समुदाय की ऊर्जा आवश्यकताओं और स्वच्छ ऊर्जा चुनौतियों का हल किए बिना वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है। इस क्षेत्र के समाधान उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बना देंगे, क्योंकि अधिकाधिक बहुराष्ट्रीय निगम अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को डीकार्बोनाइज करने की तलाश में हैं। ”

उन्होंने इस क्षेत्र में न्यायसंगत तरीके से पारगमन की आवश्यकता को रेखांकित करते कहा, “अधिक स्वच्छ ऊर्जा और निम्न कार्बन उत्सर्जन वाले परिचालनों के तौर-तरीके अपनाने से क्षेत्र की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और लाभ मार्जिन, कौशल विकास, पुनर्काैशल विकास और वित्तपोषण यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग का सभी को समान लाभ मिले और किसी पर बोझ न पड़े। ”

श्रवण.मनोहर

वार्ता

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