नयी दिल्ली 16 जुलाई (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुये आज कहा कि सरकार के एजेंडे में इसे शीर्ष स्थान मिलना चाहिए, श्री नायडू आज यहां ‘वाई फोर डी’ फाउंडेशन द्वारा आयोजित न्यू इंडिया कॉन्क्लेव के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि कृषि को ज्यादा से ज्यादा आमदनी वाला व्यवसाय बनाए जाने की जरूरत है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें मुर्गी पालन, बागवानी, रेशम पालन, मधुमक्खी पालन और डेयरी जैसी कृषि से जुड़ी गतिविधियाँ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गाँवों में बसे किसानों के लिए सस्ती दरों पर कर्ज की उपलब्धता और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। केवल कर्ज माफी और मुफ्त बिजली प्रदान करने वाली योजनाओं से काम नहीं चलने वाला।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी हम एक राष्ट्र के रूप में राष्ट्रपति महात्मा गाँधी के सपनों को हकीकत में बदलने में कामयाब नहीं हो पाये हैं। ग्रामीण और शहरी क्ष्ेात्रों के विकास में भारी विषमतायें मौजूद हैं। शहरी क्षेत्रों का जहाँ तेजी से विकास हो रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र अभी भी पिछड़े हुए हैं।
श्री नायडू ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच इस विषमता को जल्दी पाटना जरूरी है ताकि अगले 10 से 15 वर्ष में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का भारत के प्रयास बाधित न हो। उन्होंने कहा कि ग्रामीण आबादी की समृद्धि में कृषि की अहम भूमिका के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया जाना जरूरी है।
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर युवाओं से देश - खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों - को गरीबी और निरक्षरता तथा लैंगिक असमानता और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्त करने के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने और देश की बड़ी आबादी का इस्तेमाल देश के विकास में सुनिश्चित हो सके इसके लिए देश के युवाओं में ज्ञान, कौशल और प्रगतिशील विचारों का सही समन्वय जरूरी है।