राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Feb 18 2019 9:49PM सवर्ण आरक्षण विधेयक पर राजद-कांग्रेस का चेहरा बेनकाब : सुशील
पटना 18 फरवरी (वार्ता) बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विधानसभा में सवर्ण आरक्षण विधेयक के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नारेबाजी और शोर-शराबा करने पर कहा कि इस मुद्दे को लेकर इन दलों का चेहरा बेनकाब हो गया है।
श्री मोदी ने आज यहां कहा कि विधानसभा में सवर्ण आरक्षण विधेयक पर राजद-कांग्रेस का चेहरा बेनकाब हो गया है। संसद में जहां राजद ने विधेयक पर हुए मतदान का विरोध किया वहीं विधानसभा के बीच में जाकर शोर मचाकर, टेबुल पटक कर और नारेबाजी कर अपना विरोध जताया जबकि संसद में अनमने ढंग से सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन करने वाली कांग्रेस बिहार विधान सभा में तरह-तरह का संशोधन पेश कर अप्रत्यक्ष तौर पर अड़ंगा डालने की कोशिश कर रही थी।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक का विरोध करने के कारण इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस को सवर्ण समाज सबक सिखायेगा।
श्री मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालयों की नियुक्ति में विभागवार रिक्तियों के आधार पर आरक्षण की जगह विश्वविद्यालय को इकाई मान कर आरक्षण लागू करने के लिए दो दिन पहले केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। यदि पुनर्विचार याचिका पर अनुकूल फैसला नहीं आता है तो केन्द्र सरकार अध्यादेश लाकर विश्वविद्यालय को इकाई मानकर आरक्षण लागू करेगी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला आने तक केन्द्र सरकार ने विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
उप मुख्यमंत्री ने वर्ष 2021 में जाति आधारित जनगणना के लिए विधानमंडल से पारित संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि 2011 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 4900 करोड़ रुपये खर्च कर अवैज्ञानिक तरीके से जल्दबाजी में आधे-अधूरे ढंग से सामाजिक-आर्थिक जातीय सर्वेक्षण कराया। परिणामस्वरूप उसकी रिपोर्ट में 46 लाख से ज्यादा जातियां एवं उपजातियां उल्लेखित हैं और इतनी सारी तथ्यात्मक खामियां है कि उसे सार्वजनिक करना संभव नहीं है।
सूरज शिवा
वार्ता