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हरेरा, गुरूग्राम का डेवेल्परों और प्रोमोटरों पर चला चाबुक

चंडीगढ़, 28 अक्तूबर(वार्ता) हरियाणा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (हरेरा), गुरुग्राम के अध्यक्ष डॉ. के. के. खंडेलवाल द्वारा विभिन्न डेवलपरों के खिलाफ चल रहे मामलों में सुनाए गए निर्णयों के तहत प्रमोटरों पर कड़ी चौकसी रखने के अलावा रियल एस्टेट सेक्टर को नियमित करने के साथ मानकीकृत अचल सम्पत्ति क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किये गये सतत प्रयासों जो पारदर्शी और कुशल तरीके से काम करेंगे।
डॉ. खंडेलवाल और हरेरा सदस्य एस.सी. कुश ने गत 27 अक्टूबर को कई आवंटियों द्वारा की गई शिकायतों के मद्देनजर विभिन्न प्रमोटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने सीएचडी डेवलपर्स, आइरियो प्राइवेट लि., लैंडमार्क अपार्टमेंट्स प्रा. लि., सिद्धार्थ बिल्डहोम प्रा. लि., वाटिका लि., ताशी लैंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड और तुलसियानी कंस्ट्रक्शंस एंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड के खिलाफ निष्पादन की कार्रवाई में प्राधिकरण ने निदेशकों की चल सम्पत्तियों के साथ सात करोड़ रूपए की बड़ी राशि तक के बैंक खाते संलग्न करने के आदेश दिये है।
प्राधिकरण के आदेशों का पालन नहीं करने पर प्राइम टाइम इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया गया है। निष्पादन याचिकाओं से सम्बंधित मामलों की सुनवाई के दौरान, प्राधिकरण ने पाया कि क्लेरियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने प्राधिकरण के साथ विचाराधीन परियोजना को पंजीकृत नहीं कर अधिनियम की धारा-3 का घोर उल्लंघन किया है। प्राधिकरण ने धारा-59 के तहत परियोजना के गैर-पंजीकरण के लिए डेवेल्पर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि ‘‘प्रमोटर अचल संपत्ति परियोजना की अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना के लिए उत्तरदायी होगा’’ और यदि प्रमोटर धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करना जारी रखता है, तो वह तीन साल तक के कारावास या रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय होगा।
उन्होंने कहा कि प्रोमोटर्स अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल होते हैं जिनमें कब्जे को सौंपने में देरी होती है। सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ आई शिकायतों में प्रोमोटर के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की गई है और प्राधिकरण ने प्रमोटर द्वारा कब्जे सौंपने में देरी के लिए आवंटी को पांच करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। प्रोमोटर सुपरटेक लिमिटेड पर निर्धारित समय के भीतर जवाब दाखिल नहीं करने पर 1,30,000 रूपए जुर्माना भी लगाया गया है और उसका भुगतान किया गया है जिसका आवंटन आवंटियों को किया जाएगा। इस प्रकार, अचल सम्पत्ति क्षेत्र में होमबॉयर्स के विश्वास को ऊपर उठाने का काम किया गया है।
डॉ. खंडेलवाल का मत है कि डिफाल्टिंग प्रमोटरों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई न केवल रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास का वातावरण प्रदान करने में मदद करेगी बल्कि प्रमोटरों के निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी परियोजनाओं को पूरा न करने और हरियाणा रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 में निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार आवंटियों को प्राधिकरण में अपना विश्वास हासिल करने और उनके संरक्षण के लिए सहायता करेगी।
रमेश2134वार्ता
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