नयी दिल्ली, 18 फरवरी (वार्ता) वस्त्र मंत्रालय हस्त शिल्प को बढावा देने के लिए देशभर में प्रदर्शनियां आयोजित कर रहा है और इससे भौगोलिक संकेतक शिल्प और विरासत को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मंत्रालय के अनुसार हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश के भौगोलिक संकेतक (जीआई) शिल्प और विरासत को बढ़ावा देने के मकसद से यह आयोजन कर रहा है और इसके लिए मंत्रालय में हस्तशिल्प विकास आयुक्त की तरफ से देश के विभिन्न हिस्सों में ‘कला कुंभ–हस्तशिल्प विषयक प्रदर्शनी’ बेंगलुरू, मुम्बई, कोलकाता और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में आयोजित करने की योजना है।
परिषद द्वारा आयोजित इन प्रदर्शनियों काे बेंगलुरु तथा मुंबई में गत 14 फरवरी से शुरू किया गया है। प्रदर्शनी 23 फरवरी तक चलेगी। इस योजना के तहत अगले चरण में मार्च में कोलकाता और चेन्नई में भी प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी।
मंत्रालय ने बताया कि प्रदर्शनी में जीआई टैग वाले उन हस्तशिल्प को रखा जाता है जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े होते हैं। विभिन्न क्षेत्रों की विशेषता और पहचान बने इन हस्तशिल्पों को पिछले वर्ष अगस्त में देश भर में 178 जीआई हस्तशिल्प उत्पादों को पंजीकृत कराया गया था। इन प्रदर्शनियों का आयोजन आम तौर पर दस दिन के लिए होता है। इससे लोगों को जहां विविध किस्म के हस्तशिल्प की खरीद का अवसर मिलता है वहीं सीधे तौर पर शिल्पकारों की आजीविका को बेहतर करने में उल्लेखनीय योगदान मिलता है।
बेंगलुरू प्रदर्शनी में मैसूर रोजवुड जड़ाई, चन्नापटना लाह के बर्तन, धारवाड़ कासुती कढ़ाई, कोल्हापुर चप्पल, बिदरीवेयर, मोलाकलमुर हैंडब्लॉक प्रिंटिंग, अनंतापुर चमड़े की कठपुतली, त्रिशूर केवड़ा, विशाखापत्न लाह के बर्तन, संदुर लम्बानी कढ़ाई, जोधपुर टेराकोटा, जयपुर हस्त छपाई कपड़ा, कांस्य की ढलाई, मेदिनीपुर चटाई बुनाई, बीरभूम कलात्मक चमड़ा और खुर्दा ताड़ के पत्ते पर नक्काशी जैसे जीआई शिल्प को प्रदर्शित किया जा रहा है।
इसी तरह से मुम्बई प्रदर्शनी में जिन जीआई शिल्प को शामिल किया गया है उनमें चित्तूर कलमकारी पेंटिंग, त्रिशूर केवड़ा शिल्प, पोखरण टेराकोटा शिल्प, कच्छ कढ़ाई एवं क्रोशिया शिल्प, पिंगला पटचित्र, बीरभूम कांथा कढ़ाई, जाजपुर फोटाचित्र पेंटिंग, मधुबनी मिथिला पेंटिंग, कोल्हापुर चप्पल, पालघर वर्ली पेंटिंग, कोंडागांव कढ़ाई लौह शिल्प, गोमेद पत्थर शिल्प और कृष्णा हस्त ब्लॉक प्रिटिंग शामिल है।
अभिनव सत्या
वार्ता