नयी दिल्ली 02 मार्च (वार्ता) राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को आयोजित दुर्लभ और प्रतिष्ठित कारों की भव्य परेड में शामिल 54 वाहनों को उनके प्रदर्शन के आधार पर पांच श्रेणियों की ट्रॉफियों से सम्मानित किया गया।
आज यहां बहुप्रतिक्षित 58वीं वार्षिक ‘द स्टेट्समैन विंटेज एंड क्लासिक’ कार रैली में दिल्ली और दूसरे प्रांतों के पुरानी कारें रखने के शौकीन लोगों ने सहेज कर रखे गये अपने खूबसूरत वाहनों की नुमाइश की। रैली में 1914 से 1960 के दशक तक की 100 से अधिक कारें शामिल थीं। दिल्ली के दिल माने जाने वाले कनॉट प्लेस के स्टेट्समैन हाउस से शुरू हुई ऐतिहासिक कार रैली को इंडियन ऑयल के अध्यक्ष मुख्य अतिथि अरविंदर सिंह साहनी ने आज हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। लगभग 44 किलोमीटर की रैली के रास्ते में दर्शकों को लुभाते हुए ये कारें राजधानी के नेशनल स्टेडियम में पहुंची।
रंगारंग समापन कार्यक्रम में कार स्वामियों को विंटेज और क्लासिकल वर्ग में कारों के उल्लेखनीय रखरखाव और साज-सज्जा के लिये विशिष्ट अतिथि दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री मंजिन्दर सिंह सिरसा, स्टेट्समैन समूह के अध्यक्ष आर. पी. गुप्ता, स्टेट्समैन के प्रबंध निदेशक रवीन्द्र कुमार, विधि एवं कानून मंत्रालय में अपर सचिव मनोज कुमार, निदेशक विनीत गुप्ता ने विजेताओं को ट्रॉफियां प्रदान की।
‘विंटेज सेक्शन’
द स्टेट्समैन चैलेंज 'बेस्ट ओवरऑल परफॉरमेंस (विंटेज) ट्रॉफी' रोल रॉयस 1936 अशोक गुप्ता, इंडियन ऑयल 'हेरिटेज प्रिजर्वेशन' ट्रॉफी जॉन मॉरिस 1914 नेशनल रेल म्यूजियम
पीएनबी हाउसिंग 'विंटेज एक्सीलेंस' ट्रॉफी रोल रॉयस 1934 आशीष जैन, एलआईसी 'विंटेज एक्सीलेंस परफॉरमेंस' ट्रॉफी रोल्स रॉयस 1928 समीर रंगवाला, डॉ. सर कामेश्वर सिंह 'यूरोपियन रोड मास्टरी' ट्रॉफी फिएट 1935 गगन गुप्ता, एनबीसीसी 'अमेरिकन रेस्टोरेशन हेरिटेज' ट्रॉफी ओकलैंड 1926 डॉ. शहामत हुसैन, पीपी सिंह बलरामपुर 'रोड वॉरियर अचीवमेंट' ट्रॉफी फोर्ड 1930 पुनीत दुग्गल, जेके टायर्स 'ग्लोबल रेस्टोरेशन एक्सीलेंस' ट्रॉफी बेंटले 1937 हर्ष पति सिंघानिया, सी आर ईरानी 'सिग्नेचर स्टाइल एकोलेड' ट्रॉफी रोल्स रॉयस 1933 राघवपत सिंघानिया, कैराली आयुर्वेदिक 'पावर प्रिसिजन प्रिजर्वेशन' ट्रॉफी फोर्ड 1931 शमशेर सिंह कमल शाहानी, मुनीश्वर चंद मेमोरियल 'फॉरेन एलिगेंस डिस्टिंक्शन' ट्रॉफी फोर्ड 1928 प्रेम चंदना, कैलटेक्स 'ब्रिटिश एलिगेंस' ट्रॉफी स्टूडेबेकर 1930 जावेद रहमान, अंकुर भाटिया मेमोरियल 'रैली पर्सिवियरेंस' ट्रॉफी ऑस्टिन 1935 अशोक भाटिया, भरतपुर '30 एच.पी. से ऊपर प्रोवेस ट्रॉफी ब्यूक 1929 देव मोहन गुप्ता, ऑटोमोटिव ट्रस्ट 'ब्रिटिश हेरिटेज प्रिजर्वेशन' ट्रॉफी ऑस्टिन 1926 अविनी अंबुज शंकर, कांति कथपालिया 'टाइमलेस क्लासिक ऑनर' ट्रॉफी ऑस्टिन 1930 कृष्णा मोटर गैराज, अर्नोल्ड जेम्स 'ऑस्टिन हेरिटेज एक्सीलेंस' ट्रॉफी ऑस्टिन 1933 संजीव पुरी, वी. सागर ट्रॉफी रोल रॉयस 1934 आशीष जैन
, ओवैस एम किदवई 'इंटीरियर हेरिटेज' ट्रॉफी रोल्स रॉयस 1928 गुरप्रीत सिंह, तिरवा का राजा: रैली में प्रवेश करने वाली दूसरी सबसे पुरानी कार सिट्रोएन 1919 कलीम खान
‘क्लासिक सेक्शन’
द स्टेट्समैन सिल्वर जुबली 'क्लासिक एलिगेंस एंड परफॉरमेंस' ट्रॉफी जगुआर एक्सके 120 1950 राजीव केहर, हेरिटेज मोटरिंग क्लब ऑफ इंडिया 'क्लासिक एरा मास्टरी' ट्रॉफी - रनर अप टू (1) एमजी 1950 दक्ष ठाकोर, धवन 'इंटरनेशनल क्लासिक प्रिजर्वेशन' ट्रॉफी नहीं दी गई, टाइटस एंड कंपनी 'अमेरिकन क्लासिक प्रिजर्वेशन' ट्रॉफी कैडिलैक 1941 शिवराज आनंद, पुरोलेटर इंडिया लिमिटेड 'टाइमलेस एलिगेंस' ट्रॉफी एमजी 1950 दक्ष ठाकोर,
मालिबू टाउन 'प्रीमियर एलिगेंस' ट्रॉफी एमजी 1947 उदय बहादुर।
‘पोस्ट वॉर सेक्शन’
द स्टेट्समैन 'डायमंड जुबली 'युद्ध के बाद की एलिगेंस अचीवमेंट' ट्रॉफी मर्सिडीज बेंज 1958 मनुजेंद्र शाह, ऑयल इंडिया की 'युद्ध के बाद की एलिगेंस' ट्रॉफी उत्कृष्ट प्रदर्शन' ट्रॉफी शेवरले 1958 एसएच. हर्षपति सिंघानिया, एचएमसीआई 'युद्धोत्तर बहाली उत्कृष्टता' ट्रॉफी पोंटियाक 1957 पंकज गोंडल, ओएनजीसी 'युद्धोत्तर सड़क खंड उत्कृष्टता' ट्रॉफी फोर्ड 1959 चेतन वोहरा, माणिक सिंह स्मारक 'अंतर्राष्ट्रीय युद्धोत्तर बहाली' ट्रॉफी मर्सिडीज बेंज 1958 पृथ्वी नाथ टैगोर, एचपीसीएल 'रखरखाव में लालित्य' ट्रॉफी फोर्ड 1958 विवान मोहन,
सिल्वरटोन "ग्लोबल रेस्टोरेशन" ट्रॉफी मर्सिडीज बेंज 1957 राधिका पुरी, पावर ग्रिड ट्रॉफी नहीं दी गई।
स्पेशल कटेग्री
द स्टेट्समैन 'कॉन्कोर्स डी'एलिगेंस ट्रॉफी सर्वश्रेष्ठ रोल्स-रॉयस/बेंटले बेंटले 1937 हर्षपति सिंघानिया, डीपॉल की 'लेडी ड्राइवर एक्सीलेंस' ट्रॉफी फिएट 1962 सुश्री नमिता चिब्बा, एशियन पेंट्स 'सार्टोरियल एलिगेंस' ट्रॉफी फोर्ड 1930 श्री संदीप सहगल, द स्टेट्समैन 'बेंज एलिगेंस' ट्रॉफी मर्सिडीज़ 1964 आर.के. धवन, जनरल शिव भाटिया मेमोरियल 'रोड वॉरियर एक्सीलेंस' ट्रॉफी - दूसरे स्थान पर नंबर-(1) रोल्स रॉयस 1928 समीर रंगवाला, विंटेज ऑटोमोबाइल 'न्यू एंट्रेंट डिस्टिंक्शन ट्रॉफी' फिएट 1955 एस.बी.जत्ती चार्ल्स पुट्टकेमर 'न्यू मिलेनियम एंट्रेंट एक्सीलेंस' ट्रॉफी फिएट 1955 एस.बी.जत्ती, राम चंद्र नाथ फाउंडेशन 'ग्लोबल क्लासिक' ट्रॉफी शेवरले 1966 अभिमन्यु शर्मा, ब्रिजेंद्र 'द इंटरनेशनल एलिगेंस चैलेंज' ट्रॉफी ऑस्टिन 1953 डॉ. शिशिर नारायण, एसबीआई 'रैली रॉयल्टी' ट्रॉफी रोल्स रॉयस 1928 गुरप्रीत सिंह, कैस्ट्रॉल इंडिया 'उद्घाटन बहाली उत्कृष्टता' ट्रॉफी पैकर्ड 1947 शमशेर सिंह कमल साहनी।
‘अन्य 50 से अधिक जीप’
द स्टेट्समैन 'गोल्डन एरा परफॉरमेंस ट्रॉफी' मस्टैंग 1966 एस.बी. जट्टी, 21 तोपों की सलामी 'गोल्डन एरा उत्कृष्टता' ट्रॉफी फिएट 1955 एस.बी. जट्टी, वीकेआर मेनन 'जर्मन उत्कृष्टता' ट्रॉफी मर्सिडीज़ 1969 हर्ष पति सिंघानिया, केंट केबल 'अमेरिकन रेस्टोरेशन एक्सीलेंस' ट्रॉफी - रनर अप - नंबर (1) कैडिलैक 1965 परमीत सिंह भल्ला, गुरमीत सिंह मेमोरियल 'रोड सेक्शन मास्टरी' ट्रॉफी मर्सिडीज़ 1964 आर.के. धवन, एएयूआई 'इंटरनेशनल ऑथेंटिसिटी एक्सीलेंस' ट्रॉफी फिएट 1963 कृष्णा मोटर गैराज, टी.सी.एस. हेरिटेज 'रेस्टोरेशन डेब्यू' ट्रॉफी फिएट 1963 कृष्णा मोटर गैराज, दिल्ली डेयरी 'बियॉन्ड बॉर्डर्स एक्सीलेंस' ट्रॉफी फिएट 1951 अमरजीत सिंह सोढ़ी, 21 तोपों की सलामी 'पैट्रियट्स प्राइड ट्रॉफी" विलीज़ 1966 श्री अनिल शर्मा।
समारोह में पूरी देखरेख, मूल रूप में रखरखाव के साथ दुल्हन की तरह से सजा कर लायी गयीं ये कारें समापन समारोह के लिए इंडिया गेट के पास नेशनल स्टेडियम के बाहरी लॉन में एकत्र हुईं, जहां इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक एकत्रित हुए थे, जिनमें कई विदेशी राजनयिक मिशनों के लोग भी शामिल हुए।
रैली का नेतृत्व 11 महिला बाइकर (मोटरसाइकिल चालक महिलाएं) कर रही थी, जिसमें सबसे आगे गीता बत्रा थी। स्टेट्समैन के निदेशक विनीत गुप्ता और महादेव स्वामी ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आयी इन बाइक चलाने वाली महिलाओं को पुरस्कृत किया।
इस बार की रैली भाग लेने वाली विंटेज श्रेणी के वाहनों में सबसे पुरानी कार-जॉन मॉरिस फायर इंजन (निजाम स्टेट नम्बर 1) राजधानी के राष्ट्रीय रेल संग्रहालय आयी थी, जो 1914 की बनी हुई है। अब इस तरह की मात्र दो वाहन बचे हुये हैं, दूसरा वाहन मैनचेस्टर लंदन के संग्रहालय में रखा गया है। यह वाहन हैदराबाद के निजाम की रियासत की रेलवे कंपनी ने खरीदा था। यह 1960 तक सेवा में थी। करीब 80 हॉर्स पावर के चार सिलेंडर वाले इंजन की यह गाड़ी प्रति मिनट 400 गैलन पानी छोड़ती है। एक लीटर प्रति किलोमीटर की औसत वाली यह कार लगातार इस रैली में पुरस्कृत होती रही है। अब इसका रखरखाव रेलवे संग्रहालय के जिम्मे है।
इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को द स्टेट्समैन विंटेज और क्लासिक रैली में भाग लेने वाली कारों का प्री -जजिंग कार्यक्रम यहां बाराखंभा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल में आयोजित किया गया था, जहां 100 से अधिक विंटेज और क्लासिक कारों का बहुत ही सावधानी से मूल्यांकन किया गया।
इस वर्ष रैली के विशेष आकर्षण में अहमदाबाद के दमन ठाकुर की 1950 की एमजी वाईटी कन्वर्टिबल है, जिसे उनके परिवार ने “लाल परी” नाम दिया है। ठाकुर इस कार को लेकर 2023 में दुबई के रास्ते लंदन तक ले गये थे। करीब 73 दिन की यात्रा तय कर लंदन पहुंचने पर मॉरिस गेरिसन (एमजी) कंपनी निर्माता कंपनी की ओर से ऑक्सफोर्डशायर के एबिंगडन में इसका स्वागत किया गया और कारखाने की एक ईंट भेंट की गयी। कार मालिक ठाकुर ने इस ईंट को कार के बोनट पर प्रदर्शित किया था।
श्री ठाकुर ने कहा, “ यह कार एक दुर्लभ रत्न है। इस तरह की केवल 900 कारें बनायी गयीं थी और आज दुनिया भर में केवल 150-200 ही बची हैं। ”
रैली में गुरप्रीत सिंह अपनी 1928 की रोल्स रॉयस फैंटम 1 ओपन टूर को इस रैली में लेकर आये, जिसे मूल रूप से भावनगर के महाराजा ने खरीदी थी। रैली में अशोक गुप्ता की 1936 की रॉलस रॉयस, बरेली के कलीम खान की 1919 की सिट्रॉन, डॉ एस हुसैन की 1926 में अमेरिका में बनी ओकलैंड, अवनि अम्बुज की 1926 की ऑस्टिन (ब्रिटेन), देवमोहन गुप्ता की 1929 में अमेरिका में बनी और आज भी चमचमाती बुइक कार, संदीप सिंघल 1930 की फाेर्ड, जावेद खान की 1930 की अमेरिकी स्टडबेकर, कबीर सेठ की ब्रिटेन में 1934 की बनी लागोंडा, इंद्रजीत सरकार की इटली की 1961 में फियेट, देवमोहन गुप्ता की 1938 में बनी मर्सिडीज बेंज, 1948 की बनी ब्रिगेडियर नरेश बजाज की सिंगर रोडस्टार और उदयबहादुर की 1947 में ब्रिटेन में बनी एमजी कार दर्शकों के काैतूहल का प्रमुख केन्द्र रही।
विंटेज ऑटोमोबाइल के प्रति जुनून अब भी बरकरार है। रैली के निर्णायक मंडल के एक सदस्य ज्ञान शर्मा ने विंटेज कार संस्कृति को बनाये रखने के लिये सरकारी सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ बढ़ते ड्राइविंग प्रतिबंधों और बढ़ते रखरखाव लागतों के कारण, कम युवा उत्साही लोग इस तरह की रैली में शामिल हो रहे हैं। यह एक समय में एक संपन्न शौक था लेकिन अब केवल कुछ समर्पित लोग ही इसे अपना रहे हैं। इस परंपरा को जीवित रखने के लिए स्टेट्समैन को श्रेय दिया जाना चाहिए।”
मूल्यांकन प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए निर्णायक मंडल के एक अन्य सदस्य प्रमोद भसीन ने कहा कि वाहनों का मूल्यांकन मौलिकता, रखरखाव, पेंट की गुणवत्ता तथा साजो-सामान की गुणवत्ता के आधार पर किया गया।
टीम राम अशोक
वार्ता