श्रीनगर, 14 मार्च (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में शुक्रवार को सहायक प्रशिक्षण केंद्र सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) हुमहामा में भव्य पासिंग आउट परेड और सत्यापन समारोह आयोजित होने के बाद 674 रंगरूट सीमा पर नई नयी चुनौतियों का समाना करने के लिए बीएसएफ में शामिल हुए।
इस समारोह में रंगरूटों को सामान्य ड्यूटी में बहादुर 'सीमा प्रहरी' के रूप में बीएसएफ में शामिल किया गया। जिनमें
मध्य प्रदेश (460), छत्तीसगढ़ (87), तेलंगाना (23), तमिलनाडु (95), पुड्डुचेरी (06), ओडिशा (02) और बिहार (01) सहित भारत भर के विभिन्न राज्यों से आए रंगरूटों ने सीमा सुरक्षा चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने के लिए कठोर प्रशिक्षण लिया।
बीएसएफ कश्मीर फ्रंटियर्स के महानिरीक्षक अशोक यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर शिरकत की और परेड का निरीक्षण किया तथा रंगरूटों के आत्मविश्वास, कौशल और समन्वय के प्रदर्शन की सराहना की।
श्री यादव ने रंगरूटों को साहस और उत्साह के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उत्कृष्ट रंगरूटों को पदक भी प्रदान किए तथा कमांडेंट (सीआई), एसटीसी बीएसएफ कश्मीर और अनुदेशात्मक टीमों को उनके अथक प्रयासों के लिए बधाई दी। प्रत्येक बैच के पांच प्रशिक्षुओं को असाधारण प्रदर्शन के लिए ट्रॉफी प्रदान की गई, 44 सप्ताह तक चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में रंगरूटों को विभिन्न हथियारों को संभालने, फायरिंग कौशल, सीमा प्रबंधन, शारीरिक दक्षता और धीरज, फील्ड क्राफ्ट और रणनीति, आतंकवाद, उग्रवाद, कानून और व्यवस्था तथा मानवाधिकार आदि विषयों में दक्षता प्रदान की गई।
पासिंग आउट परेड में नागरिक प्रशासन, सेना, वायु सेना, सीआरपीएफ, एसएसबी, जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, मीडिया प्रतिनिधि, बीएसएफ कर्मी और उनके परिवार के सदस्य शामिल हुए। दुनिया के सबसे बड़े सीमा सुरक्षा बल के रूप में, बीएसएफ पाकिस्तान और बंगलादेश के साथ भारत की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बीएसएफ के एक बयान में कहा गया है कि अपने आदर्श ध्येय “जीवन पर्यंत कर्तव्य” के साथ यह बल 1965 में 25 बटालियन से बढ़कर 193 बटालियन और 270,000 कर्मियों तक पहुंच गया है।
उप्रेती
वार्ता