नयी दिल्ली 19 मई (वार्ता) सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में जैसलमेर से कच्छ तक फैले रेगिस्तान में दुश्मन के नापाक इरादों को विफल करने के लिए सेना, वायु सेना और सीमा सुरक्षा बलों (बीएसएफ) के जवानों और अधिकारियों की सराहना की तथा स्थिति की समीक्षा की।
जनरल द्विवेदी ने सोमवार को कोणार्क कोर के अग्रिम क्षेत्रों में लोंगेवाला का दौरा किया और सैनिकों के साथ बातचीत की। उन्होंने विशेष रूप से सेनाओं और बीएसएफ की संयुक्त कार्रवाई के दौरान तालमेल की समीक्षा की। इन संयुक्त कार्रवाइयों में न केवल दुश्मन के इरादों को कुंद किया गया बल्कि पश्चिमी मोर्चे पर संचालन प्रभुत्व बनाए रखने में भी सफलता मिली और। इस ऑपरेशन से सेनाओं ने एक ‘न्यू नार्मल’ भी स्थापित किया।
ऑपरेशन सिंदूर के हिस्से के रूप में सेना ने वायुसेना और बीएसएफ के साथ समन्वय में निगरानी परिसंपत्तियों और वायु रक्षा प्रणालियों की तेजी से तैनाती की। नागरिक प्रशासन के सामंजस्य से हथियार प्रणालियों और अन्य परिचालन क्षमता ने प्रभावी वर्चस्व के साथ संभावित खतरों को बेअसर किया। कोणार्क कोर के सैनिकों के साथ बातचीत के दौरान, सेना प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा में उनकी वीरता, अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प को स्वीकार करते हुए उन्हें “शाबाशी” दी।
उन्होंने दुश्मन की ड्रोन घुसपैठ को सफलतापूर्वक बेअसर करने सहित उनके सतर्क कार्यों के लिए सैनिकों की प्रशंसा की, जिसने रेगिस्तानी क्षेत्र में विरोधी द्वारा किसी भी दुस्साहस को प्रभावी ढंग से रोका। जनरल द्विवेदी ने कमांडरों और इकाइयों की उनकी व्यावसायिकता, उच्च मनोबल और परिचालन योजनाओं के एकीकृत निष्पादन के लिए भी सराहना की। उन्होंने सेना की सम्मान की परंपरा और निर्णायक ताकत के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की उसकी अडिग तत्परता पर प्रकाश डाला,। साथ ही देश की संप्रभुता की रक्षा करने और बदलते सुरक्षा परिदृश्य के बीच उच्च परिचालन तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रचंड गर्मी के बीच कठोर रेगिस्तानी इलाकों में सेवा करने वाले रणबांकुराें के धैर्य की सराहना करते हुए सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय उद्देश्यों की रक्षा में उनकी अथक सेवा के लिए उनकी सराहना की।
संजीव
वार्ता