नयी दिल्ली, 09 मार्च,(वार्ता) रणनीतिक नीति संवादों और साहसिक वैश्विक प्रतिबद्धताओं के बाद, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा आयोजित विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2025 के 24वें संस्करण में स्थिरता और जलवायु लचीलेपन के लिए वैश्विक एजेंडे को और मजबूत किया गया।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र और बहु-हितधारक संवादों के माध्यम से प्रभाव को आगे बढ़ाने पर विचार विमर्श किया गया और जटिल सतत विकास चुनौतियों और पर्यावरणीय चिंताओं के समाधान में सहयोगी साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
टेरी के अध्यक्ष नितिन देसाई ने दीर्घकालिक पर्यावरणीय और विकासात्मक प्रभाव को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच निरंतर संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ सतत विकास दो ज्ञान समुदायों—विकास समुदाय और पर्यावरण समुदाय - के बीच सेतु का कार्य करता है। यही सततता की वास्तविक चुनौती है: हम विकास कैसे प्राप्त करें और साथ ही पर्यावरण की रक्षा कैसे करें। यह एक आसान कार्य नहीं है।”
संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना जे. मोहम्मद ने अपने विशेष 'वैश्विक नेतृत्व' (वीडियो संदेश) में संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक जलवायु कार्रवाई के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया और सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “ भूख बढ़ रही है, और हमने अब तक के सबसे गर्म वर्षों को देखा है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ रहा है। लेकिन हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए या अपनी महत्वाकांक्षाओं को कमजोर नहीं करना चाहिए। अब समय आ गया है कि हम लोगों, ग्रह और समृद्धि के लिए एसडीजी को बचाने की योजना को आगे बढ़ाएं।”
यूएनईपी गुडविल एंबेसडर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की एसडीजी एडवोकेट अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने जलवायु चुनौतियों से निपटने में व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “ आगे का रास्ता आसान नहीं होगा। चुनौतियाँ आएँगी, संदेह के क्षण भी होंगे। लेकिन यदि हम एकजुट होकर काम करें, न्याय, समानता और स्थिरता के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहें, तो मुझे विश्वास है कि हम इस अवसर का सामना आवश्यक तत्परता और संकल्प के साथ कर सकते हैं। जब मैं समाधान के बारे में सोचती हूँ, तो मैं एक्ट4अर्थ आंदोलन को याद करती हूँ, जो मेरे दिल के करीब है। यह केवल पुनर्चक्रण या पेड़ लगाने के बारे में नहीं है, बल्कि हमें पृथ्वी से फिर से जुड़ने के लिए प्रेरित करने वाला एक आंदोलन है। यह हमारी पसंद को इस तरह से निर्धारित करने का आह्वान करता है, जिससे हम अपने ग्रह की रक्षा कर सकें और पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकें।”
विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रायज़र ने सतत वित्तपोषण और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में वैश्विक सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह सम्मेलन विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान का एक उत्कृष्ट अवसर है, जो हमें वांछित परिवर्तन की दिशा में प्रेरित करता है। हम हरित परिवर्तन को निवेश और रोजगार वृद्धि का एक प्रेरक कारक मानते हैं। भारत से बेहतर कोई देश नहीं है जो इस हरित परिवर्तन को आगे बढ़ा सके, न केवल इसके पैमाने और उद्यमशीलता क्षमता के कारण, बल्कि इसलिए भी कि भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों में से एक है। हमें संसाधनों के पुन: आवंटन और घरों और व्यवसायों के अनुकूलन के संदर्भ में लचीलापन अपनाने की आवश्यकता है।”
शेखर
वार्ता