वाशिंगटन, 17 मई (वार्ता) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार से निकालने में उन्हें सफलता मिली है और साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत अमेरिका के लिए अपने आयात शुल्क में शत-प्रतिशत कटौती करने को तैयार है।
फॉक्स न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में, अमेरिकी राष्ट्रपति से जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने में उनकी भूमिका के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि युद्ध विराम में मध्यस्थता करने में अमेरिका की भूमिका उससे कहीं अधिक बड़ी है, जिसका श्रेय उन्हें कभी नहीं मिलेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत बड़ी सफलता है, जिसका श्रेय मुझे कभी नहीं दिया जाएगा।”
इस बीच भारत ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ ने 10 मई को सीधे एक-दूसरे से बात की।
श्री ट्रम्प ने कहा, “वे प्रमुख परमाणु शक्तियां थीं, ... और वे क्रोधित थे, और अगला चरण शायद, आप देख सकते हैं कि यह जिस तरह से चल रहा था, वह एक दूसरे को जवाब देने जैसा था।” उन्होंने कहा, “यह संकट गहराता जा रहा था, और अधिक मिसाइलें चल रहीं थीं, हर दिन यह उग्र होता जा रहा था, विकराल होता जा रहा था, एक बिंदु तक जहां अगला चरण था, आप जानते हैं ‘एन’ शब्द।” जिस पर साक्षात्कारकर्ता ने उत्तर दिया, “परमाणु।”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “एन शब्द एक बहुत ही बुरा शब्द है, यह सबसे बुरी चीज हो सकती है, और मुझे लगता है कि वे परमाणु युद्ध के बहुत करीब थे। नफरत बहुत थी और मैंने कहा, हम व्यापार के बारे में बात करने जा रहे हैं, हम बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “मैं व्यापार का उपयोग हिसाब चुकता करने और शांति स्थापित करने के लिए कर रहा हूं।” उन्होंने अपना यह दावा भी दोहराया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को टालने में मदद की थी और उन्होंने दोनों देशों को और अधिक शत्रुता में पड़ने से रोकने के लिए व्यापार का उपयोग एक चाल के रूप में किया था।
भारत ने कहा है कि दोनों पक्षों के बीच टेलीफोन पर बातचीत के दौरान व्यापार पर कभी चर्चा नहीं हुई।
श्री ट्रम्प ने ईरान के साथ अमेरिका की बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, “मैंने ईरान से कहा है कि हम समझौता करने जा रहे हैं, हम वाकई बहुत खुश होंगे।”
भारत की बात पर लौटते हुए उन्होंने कहा, “लेकिन भारत के मामले में, वो दुनिया में सबसे ज़्यादा कर और सबसे ज़्यादा शुल्क वाले देशों में से एक है, भारतीय, व्यापार करना लगभग असंभव बना देते हैं।” उन्होंने अपने दावे को दोहराया, “क्या आप जानते हैं कि वे अमेरिका के लिए अपने शुल्क में शत-प्रतिशत कटौती करने को तैयार हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या व्यापार समझौता जल्द ही होने वाला है, उन्होंने कहा कि उन्हें ‘जल्दबाज़ी नहीं है’, और कहा, “देखिए, हर कोई हमारे साथ समझौता करना चाहता है।”
भारत द्वारा शत-प्रतिशत शुल्क में कटौती करने की इच्छा के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान के दो दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत अभी भी जारी है और कोई भी समझौता पारस्परिक रूप से लाभकारी होना चाहिए।
विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। इस समय एक टीम वहां जा रही है। उन्होंने कहा था, “ये बहुत जटिल वार्ताएं हैं। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं होता। ..लेकिन कोई भी व्यापार समझौता परस्पर लाभकारी होना चाहिए। इसे दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि व्यापार समझौते से हमारी यही अपेक्षा होगी। और जब तक ऐसा नहीं हो जाता, तब तक इस पर कोई भी निर्णय लेना जल्दबाजी होगी।”
अमेरिकी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका का दौरा कर रहे हैं। श्री गोयल के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के लिए भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल भी हैं।
भारत 09 अप्रैल को प्रमुख व्यापारिक साझीदारों के लिए आयात शुल्क बढ़ोतरी पर राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा घोषित 90-दिवसीय रोक के भीतर अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है, जिसमें भारत पर 26 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है।
सचिन, उप्रेती
वार्ता