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लोकायुक्त ने मुडा मामले में सिद्दारमैया को दी क्लीन चिट

लोकायुक्त ने मुडा मामले में सिद्दारमैया को दी क्लीन चिट

मैसूर, 20 फरवरी (वार्ता) कर्नाटक लोकायुक्त ने कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) आवंटन घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, उनकी पत्नी पार्वती और अन्य दो को क्लीन चिट दी है।

शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को बुधवार को एक नोटिस भेजा गया, जिसमें उन्हें सूचित किया गया कि वह लोकायुक्त जांच रिपोर्ट को एक सप्ताह के भीतर नामित मजिस्ट्रेट के समक्ष चुनौती दे सकते हैं। नोटिस में कहा गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, मल्लिकार्जुन स्वामी (पार्वती के भाई) और भूस्वामी देवराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988, बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 और कर्नाटक भूमि हड़पने निषेध अधिनियम, 2011 के विभिन्न प्रावधानों के तहत जांच की गई थी।

जांच में कहा गया कि मामला सिविल विवाद है और उनके खिलाफ आपराधिक आरोपों के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। लोकायुक्त पुलिस ने बताया कि 2016 से 2024 के बीच मुडा द्वारा 50:50 योजना के तहत किए गए प्रतिपूरक भूमि आवंटन की जांच जारी है। जांच पूरी होने पर सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत अदालत को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए श्री कृष्णा ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि उन्हें जिस चीज की आशंका थी, वही हुआ। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री आरोपी हैं और सरकारी अधिकारी उनके बचाव में आगे आए हैं।”

श्री कृष्णा कहा कि वह 'बी' रिपोर्ट की समीक्षा के बाद अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।

श्री कृष्णा ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत को याचिका सौंपी, जिन्होंने श्री सिद्दारमैया के खिलाफ जांच को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद, विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ प्राथिमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। जांच की अगुवाई पुलिस अधीक्षक (एसपी) टीजे उदेशा ने की, जिन्होंने निष्कर्ष लोकायुक्त पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ए. सुब्रमण्येश्वर राव को सौंपने से पहले मुडा अधिकारियों, राजनेताओं और अन्य व्यक्तियों से पूछताछ की।

श्रद्धा, उप्रेती

वार्ता