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बिहार के सीमावर्ती नेपाल में प्रभाव बढ़ा रहा है चीन

मोतिहारी 29 जनवरी (वार्ता) भारत के बिहार से लगने वाले सीमावर्ती नेपाली क्षेत्र में चीन सड़क निर्माण के साथ ही निःशुल्क साइकिल वितरण के बहाने अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
चीन की नेपाल में सक्रिय संस्था "चाइना फाउंडेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट" (सीएफआरडी) ने पिपरामठ बीरगंज महानगरपालिका के वार्ड 14 स्थित नृसिंह माध्यमिक विद्यालय में 1000 साइकिलों का निःशुल्क वितरण किया है। इस वितरण समारोह में संस्था की निदेशक ज़ू झिकियांग के साथ चीनी दूतावास के काउंसलर वांग शिन और वीरगंज महानगरपालिका के उप महापौर इम्तियाज आलम मौजूद थे। सामान्य सी साइकिलों के वितरण में इतने प्रमुख लोगों की मौजूदगी ने चीन के इरादों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है।
इस समारोह में बांटी गई साइकिलें चीन निर्मित "हेलो इंक" कम्पनी की है। यह कम्पनी चीन में हेलो बाइक नाम से हाइब्रिड साइकिल का निर्माण करती है जो सौर ऊर्जा और पैडल दोनों से चलती है। वितरित की गई साइकिल दोयम दर्जे की है, जिसमें फिलवक्त सौर ऊर्जा का विकल्प नहीं दिया गया है। चीन ने इस तरह की एक हजार साइकिलों का नेपाल के बारा जिले के पांच विद्यायलयों के 504 और परसा जिले के चार विद्यालयों के 496 छात्र-छात्राओं के बीच वितरण किया गया। इन दोनों जिलों के उन विद्यालयों का साइकिल वितरण करने के लिए चयन किया गया है, जो खास तौर पर सीमा के नजदीक हैं।
इस वर्ष 20 जनवरी को साइकिल वितरण समारोह के अपने सम्बोधन में नेपाल में चीनी दूतावास के काउंसलर वांग शिन ने खुद स्वीकार किया कि चीनी पक्ष ने नेपाल में कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें "वाइब्रेंट विलेज", "हैप्पी कम्युनिटी", "सेफ ड्रिंकिंग वाटर" और "लाइटिंग द फ्यूचर" शामिल हैं। वांग ने कहा कि चीनी दूतावास नेपाल में ऐसी परियोजनाओं को बढ़ावा देना जारी रखेगा। वांग की इस घोषणा से स्पष्ट है कि इस सीमाई क्षेत्र में चीन अपनी उपस्थिति को और तेजी से मजबूत करने की योजना पर कार्य कर रहा है।
ऐसा नहीं है कि इस तरह का प्रयास चीन द्वारा पहली बार किया जा रहा है। चीन की ओर से एक महत्वाकांक्षी सड़क निर्माण परियोजना भी इस सीमावर्ती क्षेत्र में चलाई जा रही है। इस सड़क का निर्माण वीरगंज-काठमांडू मुख्य मार्ग के मुंगलिंग से सीमावर्ती शहर पोखरा तक कराया जा रहा है। निर्माण का कार्य भी चीन की कम्पनी ही कर रही है। इससे पहले सीमा के नजदीक पोखरा में चीन हवाईअड्डे का निर्माण कर चुका है। चीन ऐसे निर्माणों के बहाने अपनी खुफिया एजेंसियों की पहुंच को इस सीमा क्षेत्र तक लाने में न केवल सफल रहा बल्कि इस क्षेत्र की समझ और सोंच को भारत विरोधी बना रहा है।
नेपाल में पिछले कुछ वर्षों से भारत विरोधी नीतियों पर चलने वाली पार्टियों की सरकारें आती रही हैं। ओली और प्रचंड जैसे भारत विरोधी सोंच वाले राजनेता नेपाली सत्ता के प्रमुख बनते रहे हैं। ऐसे में नेपाल से रोटी और बेटी का संबंध होने के बावजूद यहां चीन का प्रभाव बढ़ा है। साइकिलें, चाहे दोयम दर्जे की ही सही, वे नेपाली युवक युवतियों की सोंच को चीन परस्त करने का कार्य बखूबी कर रहीं हैं।
पूर्व पत्रकार और वरीय अधिवक्ता रमाकांत पाण्डेय बॉर्डर पर बढ़ते चीन के प्रभाव को अप्रत्याशित नहीं मानते। उनकी समझ में भारत के विश्वव्यापी प्रभाव के विस्तार को देखकर ही चीन ने इस सीमाई क्षेत्र का चयन किया है। श्री पांडेय की नजर में यहां की सहज भौगौलिक स्थिति और सरल नेपाली जीवनशैली, चीन की खोटी नियत के फलने-फूलने के लिए मुफीद है, जिससे भरतीय एजेंसियों और सरकार को सजग रहने की जरूरत है।
सं. सूरज शिवा
वार्ता
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