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मिथिला राजनैतिक स्तर पर अभी भी सुदृढ़ नहीं : डॉ. झा 'अविचल'

दरभंगा, 21 मार्च (वार्ता) मैथिली साहित्य के चर्चित साहित्यकार एवं साहित्य अकादमी में मैथिली का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ. अशोक कुमार झा 'अविचल' ने कहा कि मिथिला राजनैतिक स्तर पर अभी भी सुदृढ़ नहीं है, जिसका खामियाजा हमेशा मैथिली भाषा, साहित्य एवं क्षेत्र को होता रहता है।
डॉ. झा 'अविचल' ने शुक्रवार को व्याख्यान-माला को संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्रीय भाषा को मान्यता तभी प्राप्त होती है, जब वह इन चार मापदंडों पर खरा उतरता है। प्रारंभिक ग्रन्थ या अभिलिखित इतिहास की प्राचीनता, मौलिक साहित्यिक परम्परा, प्राचीन ग्रन्थ अथवा साहित्य और भाषा एवं साहित्य आधुनिक भाषा से भिन्न हो। इन चार बिंदुओं पर विचार आवश्यक है।
साहित्यकार ने मैथिली भाषा के साक्ष्य की विवेचना करते हुए कहा कि तिलकेश्वर स्थान, सहरसा के शिव मंदिर, में प्राप्त शिलालेख आज प्रमाण रूप में उपलब्ध हैं। राम कथा मैथिली की प्राचीनता का स्वतः प्रमाण है, जिसमें सीता- हनुमान संवाद मानुषी भाषा में किया गया है। प्राचीनता का स्पष्ट प्रमाण सिद्ध साहित्य से भी प्राप्त होता है, जिसकी रचना 750 ईस्वी के आस-पास मानी जाती है। इसी कड़ी में महाकवि विद्यापति के देसिल बयना की चर्चा करते हुए स्वीकारा कि जब तक आम जन मैथिली भाषा का प्रयोग पूर्णरूपेण नहीं करेंगे और मैथिली भाषा के प्रति सचेत नहीं रहेंगे, तब तक मैथिली भाषा की स्थिति तदनुकूल रहेगी।
व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए प्रो० दमन कुमार झा ने कहा कि डॉ अशोक अविचल इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं, और अपनी योग्यता से पूरे झारखण्ड राज्य में मैथिली भाषा साहित्य की अलख जगाने में तत्पर हैं। साहित्य अकादमी में मैथिली का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ अविचल साहित्य के साथ- साथ भाषा आंदोलन में भी अपनी अनिवार्यता सिद्ध करते रहे हैं।
मौके पर विभागीय शिक्षक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि मैथिली भाषा को शास्त्रीयता की श्रेणी में लाने से ही मैथिली भाषा व साहित्य एवं क्षेत्र का विकास संभव है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मैथिली पीठ की स्थापना होने से उच्च शोध की दिशा प्रशस्त होगी जिससे मैथिली का सर्वोत्तम विकास हो सकेगा।
इस व्याख्यान माला में डॉ. सुनीता कुमारी, डॉ अभिलाषा कुमारी, शोधार्थी दीपेश कुमार समेत बड़ी संख्या में छात्र -छात्राएं एवं विभागीय कर्मी उपस्थित थे।
सं.सतीश
वार्ता