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फसलों को कीट-व्याधि से बचाने के लिये किसानों को किया जा रहा जागरूक : विजय

पटना, 21 अप्रैल (वार्ता) बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हित में लगातार पौधा संरक्षण योजनाओं के अंतर्गत कीट-व्याधियों से फसल को बचाने के लिये कारगर कदम उठा रही है।
श्री सिन्हा ने सोमवार को बताया कि कीट-व्याधि, खरपतवार और अन्य जैविक कारकों के कारण किसानों की फसलों को सालाना 30-35 प्रतिशत तक की क्षति होती है, जिसे कम करने के लिए प्रभावी कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के वनस्पति संग्रहण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय द्वारा समय-समय पर कीटनाशकों की सूची जारी की जाती है, जिसमें उपयोग के योग्य और प्रतिबंधित कीटनाशकों की जानकारी होती है।
कृषि मंत्री ने बताया कि निदेशालय द्वारा अब तक 49 कीटनाशकों के निर्माण, आयात एवं उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है, जिनमें प्रमुख रूप से कार्बारिल, डाईक्लोरोभॉस, फेनथियॉन, फॉसफॉमिडॉन और फोरेट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, 16 कीटनाशकों के कृषि उपयोग पर आंशिक प्रतिबंध लगाया गया है। जैसेः- एल्युमिनियम फॉसफाईड, कार्बाेफयूरॉन, क्लोरपाईरीफॉस, डाईमेथोएट, मालाथियान, मोनोक्रोटोफॉस आदि। इनमें से कुछ रसायनों के उपयोग को विशेष फसलों पर प्रतिबंधित किया गया है, जैसे कि क्लोरपाईरीफॉस का बेर, निबू और तम्बाकू फसलों पर, और डाईमेथोएट का कच्चे सेवन योग्य फलों-सब्जियों पर उपयोग वर्जित है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देते हुए ड्रोन तकनीक से कीटनाशकों के छिड़काव को प्रोत्साहित कर रही है। इस आधुनिक पद्धति से खेतों में संतुलित, सुरक्षित और प्रभावी छिड़काव संभव हो पा रहा है। ड्रोन का उपयोग न केवल पानी, समय और श्रम की बचत करता है, बल्कि फसलों को कीट-व्याधियों से बचाने में भी अधिक दक्ष सिद्ध हो रहा है, जिससे किसानों की उपज और आय में वृद्धि हो रही है।
श्री सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कीटनाशी प्रतिष्ठानों और किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिससे वे कीटनाशकों का सुरक्षित, विवेकपूर्ण और वैज्ञानिक उपयोग कर सकें। इन प्रशिक्षणों में कीटनाशकों के सही रख-रखाव, प्रभाव, वैकल्पिक उपायों और उनके दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाती है। साथ ही, प्रतिबंधित कीटनाशकों के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे केवल अनुमोदित रसायनों का ही प्रयोग करें और फसल, पर्यावरण तथा स्वयं के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
प्रेम सूरज
वार्ता