बिजनेसPosted at: Jun 10 2025 6:56PM दावा रहित राशि की वापसी प्रक्रिया में तेजी लायें: सीतारमणमुंबई 10 जून (वार्ता) केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों और विभिन्न वित्तीय संस्थानों के पास पड़ी दावा रहित राशि को वास्तविक मालिकों को वापसी की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विनियामकों और विभागों को जिला स्तर पर समन्वित बहु एजेंसी विशेष शिविरों का आयोजन करने के लिए कहा है। श्रीमती सीतारमण ने मंगलवार को यहां वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की 29वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुये ये बातें कही। इस अवसर पर एफएसडीसी के सदस्यों के साथ केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के हितों को ध्यान में रखा जाना चाहिए और वास्तविक दावेदारों के दावों को तेजी से निपटान करते हुये धनराशि वापस की जानी चाहिए। यह अभियान आरबीआई, सेबी, एमसीए, पीएफआरडीए और आईआरडीए के साथ-साथ बैंकों, पेंशन एजेंसियों, बीमा कंपनियों आदि के समन्वय से चलाया जाना है। दावा न की गई राशि में बैंकों में जमा राशि शामिल है; दावा न किए गए शेयर और लाभांश का प्रबंधन आईईपीएफए द्वारा किया जाता है; और दावा न की गई बीमा और पेंशन निधि क्रमशः आईआरडीएआई और पीएफआरडीए के पास हैं।वित्त मंत्री ने एफएसडीसी से वित्तीय क्षेत्र में निर्बाध केवाईसी प्रक्रियाओं के लिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान करते हुये कहा कि उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाया जाना चाहिए। एफएसडीसी ने अन्य बातों के साथ-साथ व्यापक वित्तीय स्थिरता और उनसे निपटने के लिए भारत की तैयारियों से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। साइबर सुरक्षा विनियमों, क्षेत्रीय तैयारियों और वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम (एफएसएपी) 2024-25 की सिफारिशों के विश्लेषण के मद्देनजर एफएसडीसी ने वित्तीय क्षेत्र-विशिष्ट साइबर सुरक्षा रणनीति के माध्यम से भारतीय वित्तीय क्षेत्र के साइबर लचीलापन ढांचे को मजबूत करने पर भी विचार किया। एफएसडीसी ने पिछले निर्णयों और बजट घोषणाओं को लागू करने के लिए रणनीति तैयार करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जिसमें वित्तीय क्षेत्र में दावा न की गई संपत्तियों (बैंक जमा, लाभांश, शेयर, डाकघर खाते, बीमा और पेंशन फंड आदि) को कम करने और ऐसी संपत्तियों को सही मालिकों को शीघ्र और निर्बाध रूप से वापस करने के लिए आवश्यक कदम उठाना; भारतीय प्रतिभूति बाजार में अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए डिजिटल ऑनबोर्डिंग सहित केवाईसी प्रक्रिया का सरलीकरण और डिजिटलीकरण, सामान्य केवाईसी मानदंड निर्धारित करना; निवेश अनुपात बढ़ाने की रणनीति के हिस्से के रूप में वित्तपोषण प्रवाह में रुझानों का विश्लेषण करना फैक्टरिंग सेवाओं की पहुंच और दायरे को बेहतर बनाने और अकाउंट एग्रीगेटर नेटवर्क के प्रभावी उपयोग के लिए उपाय करना शामिल है।एफएसडीसी ने घरेलू और वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति से उभरते रुझानों पर विचार-विमर्श किया और सचेत रहने की आवश्यकता पर बल दिया। परिषद ने वित्तीय प्रणाली की लचीलापन के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को अपनाते हुए वित्तीय स्थिरता के लिए संभावित जोखिमों को कम करने के लिए सक्रिय प्रयासों की आवश्यकता को पहचाना। सदस्यों ने वित्तीय क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए अंतर-नियामक समन्वय को मजबूत करने का निर्णय लिया। एफएसडीसी ने आरबीआई के गवर्नर की अध्यक्षता वाली एफएसडीसी उप-समिति द्वारा की गई गतिविधियों और एफएसडीसी के लंबित पिछले निर्णयों पर सदस्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर भी चर्चा की। इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा , वित्त सचिव एवं आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, वित्तीय सेवायें विभाग के सचिव एम नागराजू , कंपनी मामलों की सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी, राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव, विशेष कार्य अधिकारी एवं आर्थिक मामलों की नामित सचिव अनुराधा ठाकुर, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांता पांडये, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के अध्यक्ष ए के राजारमन, भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के सदस्य (एक्चुअरी) प्रमोद कुमार अरोड़ा, पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण की पूर्णकालिक सदस्य (आर्थिक) ममता शंकर, भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड के पूर्णकाीलिक सदस्य डॉ. भूषण कुमार सिन्हा, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-इन)के महानिदेशक डॉ. संजय बहल और एफएसडीसी के सचिव चंचल सरकार मौजूद थे। शेखरवार्ता