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बिजनेस


हथकरघा, हस्तशिल्प, वस्त्र उत्पादों की घरेलू माँग को बढ़ावा देने के लिए 'स्वदेशी अभियान'

नयी दिल्ली, 04 अक्टूबर (वार्ता) केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय हथकरघा, हस्तशिल्प और वस्त्र उत्पादों की घरेलू माँग को बढ़ावा देने के लिए 'स्वदेशी अभियान' शुरू कर रहा है।
भारत के खिलाफ अमेरिकी बाजार में भारी शुल्क लगाये जाने के बाद अभियान "स्वदेशी कपड़ा देश की शान - यही है भारत की पहचान" के नारे के साथ चलाया जाने वाला यह अभियान श्रम प्रधान घरेलू वस्त्र, हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
मंत्रालय ने शनिवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि यह अभियान अगले छह से नौ महीनों तक पूरे भारत में चलाये जाने वाले इस अभियान देश के बाजार में इन उत्पादों की मांग को प्रोत्साहित करने के लिए खासकर शहरी युवाओं को देश में तैयार वस्त्रों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा।
मंत्रायल ने कहा कि वस्त्र क्षेत्र में देश की विरासत को जनता के बीच राष्ट्रीय पहचान के रूप में जोड़ने , भारतीय वस्त्रों को, विशेष रूप से युवाओं और शहरी उपभोक्ताओं के बीच, गौरव और शैली के प्रतीक के रूप में पुनः स्थापित करने तथा इनके उत्पादन में लगी इकाइयों और छाटे मझोले उद्यमों को सशक्त बनाना है। सरकार ने बुनकरों, कारीगरों और कपड़ा क्षेत्र की एमएसएमई इकाइयों के लिए बाजार के विस्तार, प्रचार और आय के अवसरों के विस्तार के उनके प्रयासों में मदद करेगी।
मंत्रालय का कहना है कि कपड़ा उद्योग को मजबूत के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन ( पीएलआई), पीएम मित्र पार्क, ओडीओपी जैसी पहलों के साथ अभियान के प्रयासों को एकीकृत किया जाएगा। सरकार मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों और शैक्षणिक संस्थानों को वर्दी, साज-सज्जा आदि में भारतीय निर्मित वस्त्रों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए कार्यक्रमों , सामाजिक आयोजनो और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी और राज्य सरकारों को भी सक्रिय भागीदारी के लिए कहा जाएगा
भारत में वस्त्र और परिधानों का बाजार 2024 में 179 अरब डॉलर का था। यह वर्ष दर वर्ष सात प्रतिशत से अधिक की औसत दर से बढ़ रहा है। घरेलू बाजार में हथकरघा और हैंडलूम क्षेत्र का योगदान 58 प्रतिशत है और यह साल दर साल 8.19 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। वहीं, गैर-घरेलू खपत घरेलू बाजार का 21 प्रतिशत है और साल दर साल 6.79 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। जीएसटी सुधारों के कारण दरों में हाल ही में हुए बदलावों से घरेलू और गैर-घरेलू क्षेत्र में वस्त्रों और परिधानों की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे देश में वस्त्रों की खपत में वृद्धि दर में वृद्धि हो सकती है।
अनुमान है कि विभिन्न पहलों से घरेलू मांग 9-10 प्रतिशत वर्ष की चक्रवृद्धि दर से बढ़कर 2030 तक वस्त्रों की कुल घरेलू मांग 250 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगी।
मनोहर अशोक
वार्ता
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भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को बताया कि इक्विटी में ओएफडीआई 132.85 प्रतिशत बढ़कर 185.29 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया जबकि ऋण में निवेश 44.10 फीसदी घटकर 73.87 करोड़ डॉलर रह गयी।
साथ ही, भारतीय निवेशकों ने गारंटी के माध्यम से 54.94 करोड़ रुपये का निवेश किया जो पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 66.65 प्रतिशत कम है।
अजीत, मधुकांत
वार्ता.

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