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योग में गुरु गोरखनाथ के योगदान को हमेशा सराहा गया: रघुनाथ येमुल गुरुजी.

पुणे, 21 जून (वार्ता) महाराष्ट्र के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु रघुनाथ येमुल गुरुजी ने शुक्रवार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कहा कि योग के प्रति गुरु गोरखनाथ के योगदान की हमेशा सराहना की जाती है।
एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में ध्यान के दो तरीके हैं- एक संन्यासी ध्यान और दूसरा सांसारिक ध्यान। दोनों में ध्यान के कई प्रकार हैं और गुरु गोरखनाथ जी ने खेल-खेल में ही ध्यान की कला सिखा दी।
उन्होंने कहा कि लोगों को हंसते-खेलते ध्यान और योग सीखना चाहिए। ध्यान 24 घंटे चलने वाली प्रक्रिया है जो शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करती है। गुरुजी ने बताया कि ध्यान योग की पहली वार्म-अप गतिविधि सकारात्मक, भावनात्मक विचारों के सात जीवन जीना और शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि के लिए ध्यान करना है।.
गुरुजी ने कहा ,“ वर्तमान परिदृश्य में, हम जो भी योग करते हैं वह सब नाथ योग है, जबकि गुरु गोरखनाथ ने नाथ योग की स्थापना की थी।गोरखनाथ सबसे सुंदर योगी थे, लेकिन उन्हें अपने शरीर से बिल्कुल भी लगाव नहीं था। गोरखनाथ एक तेजस्वी, ऊर्जावान, उदार, काव्यात्मक, लोक नायक, चतुर और अंधकारमय योगी थे जो क्रिया-योग को बहुत महत्व देते थे।”
उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि ने योग को व्यवस्थित रूप दिया। ध्यान ही एकमात्र ऐसी चीज है जो अशांत मन को शांति प्रदान कर सकती है और मनुष्य को परमात्मा में शांति मिल सकती है।
समीक्षा,आशा
वार्ता