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महाराष्ट्र के मुसलमानों ने नए वक्फ अधिनियम के क्रियान्वयन पर उच्चतम न्यायालय के स्थगन की सराहना की

मुंबई, 17 अप्रैल (वार्ता) महाराष्ट्र में इस्लाम धर्म के बुद्धिजीवियों और विद्वानों ने गुरुवार को नए वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन पर उच्चतम न्यायालय के स्थगन की सराहना की।
सराहना करने वालों में राज्य कांग्रेस नेता एम आरिफ नसीम खान, मरकजुल मआरिफ एजुकेशन रिसर्च सेंटर (एमएमईआरसी) के निदेशक मौलाना बुरहानुद्दीन कासमी, अखिल भारतीय उलेमा काउंसिल (एआईयूसी) के महासचिव मौलाना महमूद दरियाबादी और याचिकाकर्ता मोहम्मद जमील मर्चेंट शामिल हैं।
श्री खान ने केंद्र पर अपने बहुमत के बल पर 'असंवैधानिक' वक्फ विधेयक को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस और अन्य संगठनों द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दों का संज्ञान लिया है और ''अब कानून को खत्म कर दिया जाना चाहिए और एक नया कानून बनाया जाना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मुसलमानों के हितों की कोई चिंता नहीं है हालांकि उसने समुदाय के गरीबों के कल्याण के नाम पर कानून पारित किया है। वह इसे सही ठहराने के लिए झूठ और गलत सूचनाओं में लिप्त है। जब भाजपा के मुस्लिम नेताओं को अब दरकिनार कर दिया गया है और उनके करियर को बर्बाद कर दिया गया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को ऐसी चीजों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।''
श्री कासमी ने कहा कि उन्होंने एक पखवाड़े पहले संभावना जतायी थी कि उच्चतम न्यायालय नए वक्फ (संशोधन) अधिनियम के आधार पर अंतरिम रोक लगाएगा क्योंकि इसने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा, ''हमें खुशी है कि इस आदेश के जरिए उच्चतम न्यायालय ने हमारे पूर्वजों की संवैधानिक भावना को बनाए रखने का कदम उठाया है जब उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया था और उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय मामले के गुण-दोष के आधार पर आगे का फैसला लेगा।''
दरियाबादी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह तो लंबी लड़ाई की शुरुआत है और अंतिम फैसला आने पर टिप्पणी करना उचित होगा, ''लेकिन हमारा संघर्ष तार्किक निष्कर्ष तक जारी रहेगा।''
मुंबई से वक्फ मामलों में पहले याचिकाकर्ता जमील मर्चेंट ने इसे बहुत सकारात्मक बताया।
समीक्षा , जांगिड़
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