राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jun 17 2025 8:03PM शिवसेना (यूबीटी) ने पुणे में पुल हादसे को लेकर महायुति सरकार पर साधा निशानामुंबई 17 जून (वार्ता) शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के पुणे में पुल ढहने की घटना को लेकर मंगलवार को राज्य की महायुति सरकार पर निशाना साधते हुए इसे प्रशासनिक लापरवाही से उपजी ‘सदोषपूर्ण हत्या ’करार दिया। पिछले सप्ताह पुणे में इंद्रायणी नदी पर बने पुल के ढह जाने से चार पर्यटकों की जान चली गयी और 51 अन्य घायल हो गए थे।शिवसेना(यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया ,“यह त्रासदी सीधे तौर पर आवंटित धन के बावजूद जीर्ण-शीर्ण इंद्रायणी नदी पुल की मरम्मत करने में अधिकारियों की विफलता के कारण हुई। कठोर प्रव़ृति के लोग महाराष्ट्र पर शासन कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की संवेदना, मुआवजे की घोषणा (प्रत्येक मृतक के लिए पांच लाख रुपये) और घटना की जांच का वादा ‘एक दिखावा’और ‘मगरमच्छ के आंसू’हैं।मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी माने जाने वाले आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन को निशाना बनाते हुए संपादकीय में सवाल किया गया ,“सरकारी लापरवाही से जान गंवाने वालों की कीमत पांच लाख क्यों लगायी गयी? ये लोग क्यों मरे? इसका जवाब कौन देगा? पुल के पुनर्निर्माण के लिए आठ करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, लेकिन यह राशि कागज़ों पर ही रह गयी , क्योंकि राज्य के खजाने को कथित तौर पर राजनीतिक रूप से लाभकारी योजनाओं में खर्च कर दिया गया।”संपादकीय में पुणे के संरक्षक मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर भी आरोप लगाया गया है कि यह दुर्घटना मावल निर्वाचन क्षेत्र में हुई, जिसका प्रतिनिधित्व उनके (अजित पवार) करीबी विश्वासपात्र विधायक सुनील शेलके करते हैं। उन पर आरोप लगाया गया है कि विधायक ने चुनाव जीतने के लिए सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, लेकिन उन्हें अपने गांव में जर्जर पुल नहीं दिखा।संपादकीय में हाल की त्रासदियों का उल्लेख करते हुए कहा गया , “रेलवे, नदियाँ, सड़कें और हवाई परिवहन सभी असुरक्षित हो गए हैं। यह उन लोगों के दावों पर सवाल उठाता है जो खुद को 'विकास पुरुष' (विकास चैंपियन) या लोगों के रक्षक कहते हैं।”संपादकीय में अहमदाबाद विमान हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन देशों की यात्रा की आलोचना करते हुए कहा गया कि सरकार अनावश्यक परियोजनाओं पर पैसा बर्बाद करती है लेकिन इंद्रायणी पुल जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की उपेक्षा करती है।अशोक जितेन्द्रवार्ता