राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: May 19 2025 12:40PM मध्यप्रदेश में महत्वाकांक्षी “मेट्रोपॉलिटन रीजन” के गठन के प्रयास तेजभोपाल, 19 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश की डेढ़ वर्ष पुरानी डॉ मोहन यादव सरकार ने दो प्रमुख शहरों भोपाल और इंदौर तथा आसपास के क्षेत्रों के सुनियोजित विकास के उद्देश्य से “मेट्रोपॉलिटन रीजन” के गठन की महत्वाकांक्षी योजना पर तेजी से कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसी से जुड़े “मध्यप्रदेश मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास विधेयक 2025” के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे मंगलवार को होने वाली राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में स्वीकृति मिलने की पूरी संभावना है। भोपाल-सीहोर-रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) और इंदौर-उज्जैन-देवास-धार को मिलाकर प्रदेश में दो “मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र” विकसित किए जाने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री डॉ यादव की घोषणा और इसमें उनकी विशेष रुचि के कारण नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस दिशा में तेजी से काम प्रारंभ कर दिया है। भविष्य में आबादी बढ़ने, आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने और विभिन्न चुनौतियों के चलते शहरों के नियोजित विकास के क्रम में इस योजना पर काम प्रारंभ किया गया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) संजय शुक्ला ने आज यहां यूनीवार्ता को बताया कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री ने इस संबंध में घोषणा की थी। इसके बाद से ही विभाग इसके बारे में अध्ययन कर रहा था और अब “मध्यप्रदेश मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास विधेयक 2025” का प्रारूप लगभग तैयार है। इस मसौदे को मंगलवार को इंदौर में होने वाली राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा और इस पर मुहर लगने की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया कि इस विधेयक को विधानसभा सत्र के आगामी मानसून सत्र में पारित किए जाने की संभावना है और फिर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के विकास के संबंध में कार्य व्यवस्थित तरीके से और तेजी से प्रारंभ किए जाएंगे। इस बीच इस महत्वाकांक्षी योजना से जुड़े विभिन्न विभागीय कार्य भी जमीनी स्तर पर प्रारंभ कर दिए जाएंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि भविष्य की जरूरतों के अनुरूप इस तरह की योजनाओं पर बेहतर तरीके से काम करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री डॉ यादव पहले ही कह चुके हैं कि राज्य में नगरीय क्षेत्रों का तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने और औद्योगिक तथा व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नगरीय क्षेत्रों के व्यवस्थित नियोजन पर समय रहते सही दिशा देना जरूरी है। इसलिए सरकार ने भोपाल-सीहोर-रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) और इंदौर-उज्जैन-देवास-धार को मिलाकर दो “मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र” विकसित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों से कहा है कि प्रस्तावित मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में परस्पर “कनेक्टिविटी” बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए बसाहटों, यातायात, सार्वजनिक परिवहन, अधोसंरचना, जल आपूर्ति, सीवरेज, विद्युत आपूर्ति, और प्रकाश व्यवस्था आदि की समन्वित रूप से कार्ययोजना बनाकर इनका बेहतर तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके मद्देनजर नगरीय विकास एवं आवास विभाग के साथ ही सभी संबंधित विभाग भी कार्य कर रहे हैं।आधिकारिक सूत्रों ने यूनीवार्ता को बताया कि भोपाल मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में नौ हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसमें भोपाल के पास स्थित सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिलों के क्षेत्र शामिल हैं। इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र भी नौ हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में विकसित किए जाने का प्रस्ताव है। इसमें इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर और धार जिलों के क्षेत्र शामिल रहेंगे। इन क्षेत्रों के बेहतर रखरखाव और व्यवस्थित कार्य संचालन के लिए प्रशासनिक ढांचा भी अलग से तैयार करने का प्रस्ताव है। सूत्रों ने कहा कि यह योजना बनाने के दौरान दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी प्रक्षेत्र (एनसीआर) और देश के अन्य मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों तथा शहरों का भी दौरा विभागीय अधिकारियों की टीमों ने किया है। इन दो क्षेत्रों के दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि संबंधित क्षेत्रों में बेहतर विकास और सुविधाओं के साथ साथ औद्योगिक तथा आर्थिक गतिविधियों, पर्यटन और रोजगार के साधनों का विकास तथा विस्तार हो। इस संबंध में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने दूरभाष पर यूनीवार्ता से चर्चा में कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लक्ष्य को ही लेकर लगातार आगे बढ़ रही है। तकनीकी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार विकास के बीच राज्य की राजधानी भोपाल और व्यावसायिक राजधानी इंदौर के आसपास के क्षेत्रों का भी बेहतर विकास आवश्यक है। इसी क्रम में सरकार ने यह योजना बनायी है। उन्होंने पूर्ण विश्वास व्यक्त किया कि इस योजना के क्रियान्वयन से संबंधित क्षेत्रों में नागरिक जीवन बेहतर होने के साथ ही आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी और लोगों को रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने इस संबंध में यूनीवार्ता से कहा कि ये भाजपा सरकार का “स्मार्ट सिटी” प्रोजेक्ट की तरह “जुमला” है। उन्होंने कहा कि भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की क्या गत हुयी है, यह किसी से छिपा नहीं है। उनका आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के नाम पर भोपाल में एक लाख से अधिक पेड़ काट दिए गए। सरकारी क्वाटर मिटाकर जमीनें तैयार कर ली गयीं। और अब इन जमीनों का भी वही हश्र होना है, जो राज्य सड़क परिवहन निगम और पर्यटन विकास निगम की संपत्तियों का हुआ। यानी कि इन सरकारी जमीनों को बेच दिया जाएगा।श्री नायक ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जो नागरिक सुविधाएं मुहैया कराने का लक्ष्य था, वे भी नागरिकों को नहीं मिल पायी हैं। उन्होंने आशंका जतायी कि कहीं मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास संबंधी योजना का भी यही हश्र नहीं हो जाए। प्रशांतवार्ता