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बंगाल: मिदनापुर अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने निलंबन आदेश के बाद किया काम बंद

कोलकाता, 17 जनवरी (वार्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के मिदनापुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने अपने छह साथी सहकर्मियों के निलंबन के विरोध में शुक्रवार सुबह आठ बजे से काम बंद कर दिया।
डॉक्टरों ने एक बयान में कहा ''हम मिदनापुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टर एक गर्भवती मां की दुर्भाग्यपूर्ण मौत और तीन अन्य की गंभीर हालत के बाद छह जूनियर डॉक्टरों को निलंबित करने के प्रशासनिक फैसले से बहुत निराश हैं।”
प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं और प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य प्रणाली में कई कमियों और भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए, हमारा मानना ​​​​है कि यह बलि का बकरा बनाने का एक प्रयास है और यह बेहद दुखद है कि ऑन-ड्यूटी जूनियर प्रशिक्षु डॉक्टरों को भी दुश्मन के रूप में फंसाया गया है। जहां वे वास्तव में कुछ जिंदगियां बचाने की कोशिश कर रहे थे।''
ओबीजीएन और एनेस्थीसिया विभाग के जूनियर डॉक्टरों ने अगली सूचना तक पूर्ण रूप से काम बंद करने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा, ''अस्पताल के सभी जूनियर डॉक्टर नैतिक संकट की इस स्थिति में अपने साथी सहकर्मियों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और शुक्रवार सुबह 8 बजे से अगली सूचना तक पूर्ण रूप से काम बंद करने की घोषणा करते हैं।''
उन्होंने कहा, ''हमें उम्मीद है कि सद्बुद्धि आएगी, मानवीय आधार पर चीजें तय की जाएंगी और प्रशासन जूनियर डॉक्टरों के निलंबन आदेश को तुरंत वापस ले लेगा। उम्मीद है कि विस्तृत और पारदर्शी जांच के बाद ही अगर कोई दोषी साबित होता है तो प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे।''
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया और राज्य के स्वामित्व वाले मेदिनीपुर अस्पताल में कथित तौर पर नकली सलाइन चढ़ाने के बाद एक युवा मां और नवजात शिशु की मौत की जांच अपराध जांच विभाग ​​(सीआईडी)से कराए जाने का आदेश दिया।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआईडी ​​द्वारा जांच लंबित रहने तक चिकित्सकों को निलंबित कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई तब की जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस मुद्दे पर राज्य सरकार की खिंचाई की और राज्य को शोक संतप्त परिवारों को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
सुश्री बनर्जी ने प्रत्येक मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा “ यह घटना उन लोगों की लापरवाही के कारण हुई जो उस दिन ड्यूटी पर थे। हमें नहीं पता कि अगर अन्य मरीज उनके पास गए होते तो क्या होता। इसलिए यह दंडात्मक कार्रवाई की गई।”
सुश्री बनर्जी ने नबन्ना में संवाददाताओं से कहा कि रक्षक माने जाने वाले डॉक्टरों की लापरवाही उनकी सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।
पिछले सप्ताह मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित तौर पर नकली सलाइन चढ़ाने से मामोनी रुइदास (30) और एक नवजात शिशु की मौत हो गई।
निलंबित डॉक्टरों में मिदनापुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल अधीक्षक और कुछ स्नातकोत्तर प्रशिक्षु शामिल हैं।
समीक्षा, सोनिया
जारी वार्ता