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पॉश अधिनियम अन्याय के खिलाफ-राहतकर

भुवनेश्वर 12 फरवरी (वार्ता) राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य विजया राहतकर ने बुधवार को कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (पॉश एक्ट) का उद्देश्य अन्याय को दूर करना है, पुरुषों को निशाना बनाना नहीं।
सुश्री राहतकर ने राज्य में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (पॉश एक्ट) के क्रियान्वयन पर समीक्षा बैठक के दौरान कहा, ''इस कानून के तहत दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।''
समीक्षा बैठक महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से आयोजित की गई थी।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में महिलाओं की भूमिका और जिम्मेदारियां काफी बदल गई हैं। आधुनिक कामकाजी महिलाएं अपने पेशेवर और निजी जीवन दोनों को प्रभावी ढंग से संभालती हैं।
इस संदर्भ में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल प्रदान करना समाज की जिम्मेदारी है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को केवल कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (पॉश) अधिनियम के उचित कार्यान्वयन और कानून के बारे में मजबूत सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से ही रोका जा सकता है।
उन्होंने राज्य भर में हर कार्यस्थल पर आंतरिक समितियों के गठन के साथ-साथ हर जिले में क्षेत्रीय समितियों की स्थापना के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने समिति के सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और हर जिले में सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापनों और होर्डिंग्स के माध्यम से कानून के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने ओडिशा में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (पॉश अधिनियम) की स्थिति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव शुभा शर्मा, आईजी पुलिस एस सैनी, मंडल निदेशक मोनिशा बनर्जी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा सभी विभागों के नोडल अधिकारी भी मौजूद थे।
जांगिड़
वार्ता