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ग्याल्वा कर्मापा का कलिम्पोंग आगमन : रविवार से दिव्य अनुष्ठानों की श्रृंखला

कलिम्पोंग, 19 अप्रैल (वार्ता) भारत के हिमालयी राज्य पश्चिम बंगाल स्थित कलिम्पोंग इस समय एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अवसर का साक्षी बनने जा रहा है। कर्मा काग्यू बौद्ध परंपरा के सर्वोच्च धर्मगुरु सद्गुरु 17वें ग्याल्वा कर्मापा त्रिन्ले थायेदोर्जे का पावन आगमन हुआ। उनके दिव्य सान्निध्य में 20 से 27 अप्रैल 2025 तक दिवाकर बुद्धिस्ट एकेडमी के शांत वातावरण में अनेक विशिष्ट और पवित्र अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा।
इस ऐतिहासिक अवसर पर विश्वभर के 68 देशों से श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है, जो सद्गुरु से प्रत्यक्ष आशीर्वाद प्राप्त करने और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने के लिए कलिम्पोंग की ओर अग्रसर हैं।
सद्गुरु 17वें ग्याल्वा कर्मापा को बौद्ध अनुयायी अवलोकितेश्वर (चेनरेज़िग) और वज्रधारा के अवतार के रूप में पूजते हैं। वह न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि विश्वभर में फैले लगभग 900 बौद्ध संस्थाओं और ध्यान केंद्रों के प्रमुख मार्गदर्शक भी हैं।
ग्याल्वा कर्मापा की पुनर्जन्म परंपरा की शुरुआत 12वीं शताब्दी में हुई थी, और तब से यह तुल्कु प्रणाली के रूप में जानी जाती है, जिसमें एक गुरु के पुनर्जन्म को पहचानकर बौद्ध ज्ञान परंपरा को निरंतरता प्रदान की जाती है। आज, 17वें कर्मापा इस 900 वर्ष पुरानी करुणा और ज्ञान की ज्योति को आधुनिक विश्व तक पहुँचा रहे हैं।
पवित्र अनुष्ठानों की रूपरेखा इस प्रकार है :
20–24 अप्रैल : श्वेत तारा और अमितायुस पूजा : इसके तहत दीर्घायु, स्वास्थ्य और आत्मिक जागरण की कामना के साथ विशेष सामूहिक पूजा होगी।
25 अप्रैल : टेन्शुग (दीर्घायु समर्पण) समारोह : श्रद्धालुओं द्वारा सद्गुरु की लंबी उम्र के लिए श्रद्धापूर्वक समर्पित विशेष प्रार्थना।
26 अप्रैल : भिक्षु दीक्षा समारोह और आचार्य उपाधि वितरण : नवदीक्षित भिक्षुओं को औपचारिक दीक्षा तथा वरिष्ठ साधकों को ‘आचार्य’ की उपाधि।
27 अप्रैल : दीर्घायु अभिषेक (साक्रेड वाङ) सद्गुरु स्वयं श्रद्धालुओं को प्रत्यक्ष ‘दीर्घायु अभिषेक’ प्रदान करेंगे।
दिवाकर बुद्धिस्ट एकेडमी, जो कर्मापा के मार्गदर्शन में स्थापित की गई है, आज तिब्बती बौद्ध परंपरा की शिक्षा, साधना और शोध का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यही संस्था इस सप्ताह भर चलने वाले भव्य और दिव्य अनुष्ठानों की मेज़बानी कर रही है। आयोजन स्थल की शांत, पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण वातावरण श्रद्धालुओं को गहन साधना और आत्मिक अनुभव प्रदान करेगा।
इस आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है, क्योंकि यह एक ऐसा दुर्लभ अवसर है जहाँ वे सद्गुरु के प्रत्यक्ष सान्निध्य में न केवल आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि आत्मिक प्रगति के मार्ग पर एक नया अध्याय भी प्रारंभ कर सकेंगे। आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम धर्म, ध्यान और करुणा का अद्भुत संगम होगा।
सं.संजय
वार्ता
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