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जनेऊ विवादः बीदर कॉलेज के दो अधिकारी निलंबित

बीदर, 20 अप्रैल (वार्ता ) कर्नाटक में बीदर के साईं स्फूर्ति प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में जनेऊ विवाद में दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
इन अधिकारियों पर एक विद्यार्थी ने आरोप लगाया था कि उसे कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) में बैठने नहीं दिया गया था। विद्यार्थी ने आरोप लगाया था इन अधिकारियों ने जनेऊ उतारने से इनकार करने पर उसे सीईटी की परीक्षा नहीं दे दी थी। गौरतलब है कि जनेऊ हिंदू पुरुषों द्वारा पारंपरिक रूप से पहना जाने वाला पवित्र धागा है। छात्र सुचिव्रत कुलकर्णी को 17 अप्रैल को अंडरग्रेजुएट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (यूजीसीईटी) के गणित के पेपर में शामिल होना था। उसने दावा किया कि कॉलेज के निरीक्षकों ने उसे परीक्षा हॉल में प्रवेश करने से रोक दिया, जब तक कि उसने जनेऊ नहीं उतारी या काट नहीं दिया। सुचिव्रत ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने उनसे 45 मिनट तक विनती की।" उन्होंने कहा कि उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा, "उन्होंने कहा कि मैं तभी परीक्षा दे सकता हूं, जब मैं अपनी जनेऊ उतार दूं। मैं चाहता हूं कि सरकार या तो मुझे फिर से परीक्षा देने की अनुमति दे या मुझे सरकारी कॉलेज में सीट दे।" शिकायत के बाद बीदर जिला प्रशासन ने घटना की जांच शुरू की। बीदर के उपायुक्त ने कॉलेज के प्राचार्य चंद्र शेखर बिरादर और स्टाफ सदस्य सतीश पवार को आगे की जांच तक निलंबित करने का निर्देश दिया।
कॉलेज के प्रबंधन साई दीपा एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 19 अप्रैल को एक आपातकालीन बैठक की और औपचारिक रूप से दोनों अधिकारियों को निलंबित करने का निर्णय लिया। इस घटना पर छात्र के परिवार और जनता की तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। सुचिव्रत की माँ नीता कुलकर्णी ने अपने पुत्र के साथ किए गए व्यवहार पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "वह बहुत दुखी था। उसे अपना जनिवारा छोड़ने या घर जाने के लिए कहा गया था।" उन्होंने राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हम अधिकारियों से न्याय सुनिश्चित करने की अपील करते हैं। या तो फिर से परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए या उसे वित्तीय सहायता के साथ एक अच्छे कॉलेज में सीट दी जानी चाहिए।" कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) ने अभी तक इस मामले पर औपचारिक बयान जारी नहीं किया है।
संतोष,आशा
वार्ता
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