राज्य » अन्य राज्यPosted at: Apr 26 2025 6:28PM तमिलनाडु मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावनाचेन्नई, 26 अप्रैल (वार्ता) तमिलनाडु में 29 अप्रैल को विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद कैबिनेट में फेरबदल संभव है। पीएमएलए मामले में उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद मंत्री वी. सेंथिलबालाजी और महिलाओं पर आपत्तिजनक बयान के बाद के. पोनमुड़ी को पद से हटाया जा सकता है। रिपोर्टों पर विश्वास किया जाए तो व्यापक आलोचनाओं के कारण, जिससे द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार को कुछ शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी, दोनों मंत्रियों को उनके कैबिनेट पदों से हटाए जाने की संभावना है। धन शोधन मामले में जमानत पर बाहर आए मंत्री सेंथिलबालाजी को सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार तक मंत्री पद छोड़ने या जमानत चुनने को कहा है, जबकि मंत्री पोनमुडी के आपत्तिजनक बयान पर विपक्ष की तीखी आलोचना हो रही है। दोनों की वजह से द्रमुक सरकार और मुख्यमंत्री स्टालिन दबाव में हैं। रिपोर्टों के अनुसार, दो प्रमुख मंत्रियों पोनमुडी और सेंथिलबालाजी को लेकर बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच तमिलनाडु में कभी भी कैबिनेट फेरबदल हो सकता है। सेंथिलबालाजी के पास फैसला लेने का समय कम है और पोनमुडी को पहले ही उप महासचिव पद से हटाया जा चुका है। पार्टी के पदों से नेताओं और पदाधिकारियों को हटाने का आदेश आम तौर पर द्रमुक महासचिव द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन शायद पहली बार श्री स्टालिन ने खुद एक बयान जारी कर विल्लुपुरम के अपने कद्दावर नेता पोनमुडी को पद से हटा दिया, क्योंकि पार्टी को न केवल विपक्ष से बल्कि पार्टी के भीतर से भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिससे साफ है कि चुनाव से पहले पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। श्री पोनमुडी की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज न करने पर स्वतः संज्ञान लिया और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया, जिस पर 19 जून को जवाब मांगा गया है। एक वकील ने उन्हें कैबिनेट से हटाने की मांग की है। रिपोर्ट के मुताबिक, कैबिनेट में कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव संभव है। पूर्व वित्त मंत्री और मौजूदा आईटी मंत्री पीटीआर को सेंथिलबालाजी की जगह बिजली विभाग मिल सकता है, खासकर जब उन्होंने विधानसभा में अपने विभाग को पर्याप्त बजट और अधिकार न मिलने पर नाराजगी जताई थी। कैबिनेट फेरबदल की आधिकारिक घोषणा आने वाले दिनों में की जा सकती है। द्रमुक के करूर नेता सेंथिलबालाजी, जिन्हें जून 2023 में नौकरी के बदले रिश्वत घोटाले में गिरफ्तार किया गया था, पहले बिना पोर्टफोलियो मंत्री बने रहे, फिर कोर्ट से आरोप तय होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया, लेकिन सितंबर में जमानत मिलने के दो दिन बाद फिर से मंत्री पद में शामिल हो गए। अब, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनके राज्य मंत्रिमंडल में बने रहने पर कड़ी आलोचनाएं हो रही हैं। उच्चतम न्यायालय ने सेंथिलबालाजी की जमानत पर सवाल उठाए हैं, जबकि मद्रास उच्च न्यायालय ने दुरईमुरुगन और एमआरके पन्नीरसेल्वम को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है। कैबिनेट में बड़ा फेरबदल संभव है। मद्रास उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों द्वारा बरी किये जाने के खिलाफ डीवीएसी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए वेल्लोर विशेष अदालत को श्री दुरईमुरुगन और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दैनिक सुनवाई करने और छह महीने में दोनों मामलों का निपटारा करने का निर्देश दिया था, वहीं शुक्रवार शाम को उसने कुड्डालोर जिला अदालत को श्री पन्नीरसेल्वम के खिलाफ भी इसी तरह के निर्देश पारित किये थे, जबकि उसके बरी किये जाने के आदेश को पलट दिया था। एक अन्य मामला नगर प्रशासन मंत्री के एन नेहरू और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ हाल ही में पड़े ईडी के छापों का है। मुख्य विपक्ष ने पहले ही, सर्वश्री सेंथिलबालाजी, पोनमुडी और नेहरू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस दिए थे, लेकिन अध्यक्ष ने उन्हें इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी थी क्योंकि मामला उनके विचाराधीन था, जिसके कारण अन्ना द्रमुक सदस्यों ने सदन से दो बार वाकआउट किया।श्रद्धा सैनीवार्ता