राज्य » अन्य राज्यPosted at: May 19 2025 9:31PM चंपावत के सरकारी स्कूलोें की बदहाल स्थिति को लेकर ताजा रिपोर्ट पेश करने के निर्देशनैनीताल 19 मई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चंपावत जिले के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को याचिकाकर्ता को स्कूलों का भ्रमण कर ताजा रिपोर्ट तैयार करने को कहा। आरटीआई कार्यकर्ता राजेश सिंह बिष्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि शिक्षा सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम है। संविधान में भी शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है लेकिन चंपावत जिले में सरकारी स्कूलों की हालत बड़ी दयनीय है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। शिक्षण संस्थान जर्जर हालत में हैं। अधिकांश स्कूलों में पानी, बिजली, शौचालय, पर्याप्त फर्नीचर, कक्षाकक्ष के साथ चाहरदीवारी की व्यवस्था नहीं है। बिजली और इंटरनेट नहीं होने से स्मार्ट क्लास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। यहां तक कि अधिकांश स्कूलों में चाहरदीवारी नहीं है जिससे असुरक्षा का वातावरण बना रहता है। याचिका में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाये गये हैं तथा भ्रष्टाचार की आशंका जताई गयी है। आगे कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2800 स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अधिकांश स्कूल बंद हो गये हैं या बंदी के कगार पर हैं। खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता को जिले के शिक्षण संस्थानों का भ्रमण कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता इस दौरान स्कूलों में पठन पाठन कार्य को बाधित नहीं करेगा और अदालत के अलावा किसी से रिपोर्ट भी शेयर नहीं करेगा। रवीन्द्र , जांगिड़वार्ता