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त्रिपुरा चिड़ियाघर में 1972 के बाद तीन स्वस्थ शावक

अगरतला, 20 मई (वार्ता) त्रिपुरा में सिपाहीजाला जिले के सिपाहीजाला प्राणी उद्यान में एक बाघिन ने एक सप्ताह पहले तीन स्वस्थ शावकों को जन्म दिया।
वन्यजीव अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1972 के बाद से चिड़ियाघर के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। पिछले वर्ष पशु विनिमय कार्यक्रम के अंतर्गत चिड़ियाघर में लाई गई बाघिन ने 11 मई को चिड़ियाघर में तीन शावकों को जन्म दिया। इसके साथ ही यहां बाघों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।
सिपाहीजाला चिड़ियाघर के निदेशक बिस्वजीत दास ने कहा कि 2015 से 2024 की शुरुआत तक चिड़ियाघर के बाड़ों में कोई बाघ नहीं था। फरवरी 2024 में रणनीतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत पश्चिम बंगाल के चिड़ियाघर से रॉयल बंगाल टाइगर्स का एक जोड़ा पहुंचा, तो अधिकारियों ने बाघ प्रजनन कार्यक्रम को फिर से शुरू किया।
श्री दास ने कहा , “यह जोड़ा स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से जुड़ गया और कुछ ही महीनों में मादा ने बिना किसी मध्यवर्तन के गर्भधारण किया। उन्होंने आगे कहा कि हम सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से बाधिन और उसके शावकों पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं और उन्हें शांति एवं सुरक्षा देने के लिए बाड़े को नो-डिस्टर्बेंस ज़ोन घोषित किया गया है।” प्रसव के बाद की अवस्था में बाघिन को समर्थन देने के लिए चिड़ियाघर ने उसके आहार में वृद्धि की है, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन और पूरक आहार उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे उसका स्वास्थ्य और शावकों के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित हो सके। बाधिन को हर दिन कई बार ताज़ा मांस और स्वस्थ सूप दिया जा रहा है, ताकि शावकों को बाघिन से पर्याप्त दूध मिल सके।
उन्होंने कहा , “शावकों के जीवित रहने के लिए मां का स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है। हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सिपाहीजाला चिड़ियाघर में आखिरी बार 2014 में एक शावक का जन्म हुआ था, लेकिन उस समय शावक के मृत पैदा होने से गहरी निराशा हुई थी।”
अभय अशोक
वार्ता