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गोडावण चूजे के जन्म के साथ ही आबादी बढने के नए आयाम

जैसलमेर 26 मार्च (वार्ता) राजस्थान के जैसमलेर जिले में सम स्थित कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर में कृत्रिम गोडावण चूजे के जन्म के साथ ही धरती पर तेजी से लुप्त हो रहे राज्य पक्षी ‘दी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के संरक्षण एवं आबादी बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासो में एक बड़ी सफलता मिलने के नए आयाम जुड़े हैं।
जिले में सम स्थित सम कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर में इस साल के दूसरे कृत्रिम गोडावण चूजे ने गत 21 मार्च को
जन्म लिया है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पिछले रविवार को इसको लेकर इस वर्ष में दूसरी बार कैद में पाले गए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजे के सफलतापूर्वक कृतिम रूप से अंडे सेने की रोमांचक खबर साझा की।
यह घोषणा इस गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी की आबादी को संरक्षित करने और पुनर्स्थापित करने के भारत के चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। एक सोशल मीडिया पोस्ट में, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने खुलासा किया कि 5 साल की मादा गोडावण 'अमन' और 4 साल के नर 'लियो' का योगदान है, जिन्होंने गत 26 फरवरी को एक अंडा दिया था। कृत्रिम रूप से सेने के बाद 21 मार्च को चूजे का जन्म हुआ, जिसे अब विशेष देखभाल में रखा गया है।
डेजर्ट नेशनल पार्क के डिप्टी कंजरवेटर फॉरेस्ट बृज मोहन गुप्ता ने बताया कि 26 फरवरी को अमन नाम की एक 5 वर्षीय मादा ने सम कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर में 26 फरवरी को एक प्रजनन नर, लियो के साथ संभोग करने के बाद अंडा दिया था। अंडे को प्रोजेक्ट त्रढक्त के तहत काम करने वाली समर्पित टीम द्वारा कृत्रिम रूप से हैच किया गया था, जो ग्रह पर सबसे दुर्लभपक्षियों में से एक को बचाने के उद्देश्य से एक संरक्षण पहल है और गत 21 मार्च को गोडावण के एक और चूजे का जन्म हुआ है।
उन्होंने बताया कि गत 21 मार्च को राष्ट्रीय संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के तहत मिली इस सफलता से वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों और प्रकृति प्रेमियों में उत्साह है। गौरतलब है कि इससे पहले गत 9 मार्च को भी इसी केन्द्र में एक चूजे का जन्म हुआ था। जैसलमेर के सुदासरी (सम) और रामदेवरा स्थित दोनों ब्रीडिंग सेंटरों में अब कुल 46 गोडावण हो गए हैं। वर्तमान में देशभर के जंगलों में मात्र 150 से भी कम गोडावण बचे हैं, जिससे यह बाघों से भी अधिक दुर्लभ प्रजाति बन चुकी है।
सं रामसिंह सैनी
वार्ता