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गोडावण संरक्षण में मिली ऐतिहासिक सफलता, कृत्रिम गर्भाधान से निकला 11वां चूजा

जैसलमेर, 19 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान में जैसलमेर के गोडावण संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र में वैज्ञानिकों और वन विभाग
की साझा कोशिशों से मादा गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) ‘शार्की से कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया के बाद शुक्रवार को मौसम का 11वां चूजा सफलतापूर्वक जन्मा है।
यह इस इस परियोजना तहत तीसरा चूजा है, जो पूरी तरह कृत्रिम विधि से जन्मा है। इसी के साथ भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी अपने नाम कर ली है। इस उपलब्धि के साथ भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के कृत्रिम प्रजनन में सफलता पाई है। यह उपलब्धि केवल एक जैविक प्रयोग की सफलता नहीं है, बल्कि विलुप्ति की कगार पर पहुंचे इस दुर्लभ पक्षी को जीवनदान देने की दिशा में एक मील का पत्थर है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने शुक्रवार को एक एक्स पोस्ट में इस सफलता की पुष्टि भी की है।
डब्ल्यू आई आई के सुदासरी केंद्र के समन्वयक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक सुथिरतो दत्ता ने बताया कि 20 मार्च को जैसलमेर के रामदेवरा प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र में मेल गोडावण ‘सुदा’ के स्पर्म को जिले के थार राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद मादा गोडावण शार्की का विशेषज्ञों ने कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया था। इसके बाद उसने एक स्वस्थ अंडा दिया, जिसकी वैज्ञानिक निगरानी में सघन देखभाल की गई। कुछ ही हफ्तों बाद इस अंडे से एक पूरी तरह स्वस्थ चूजा निकला, जिसे अब सुदासरी केंद्र में विशेष निगरानी में रखा गया है।
उन्होंने बताया कि आबूधाबी के एक संगठन से कृत्रिम गर्भाधान की मिली तकनीक एवं प्रशिक्षण से धरती पर तेजी से लुप्त हो रहे शेड्यूल फर्स्ट के वन्यजीव प्राणी गोडावन को बचाने में सफलता मिली है
सं.सुनील.श्रवण
वार्ता