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अंता से विधायक कंवरलाल मीणा विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित

जयपुर 23 मई (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में बारां जिले में अंता विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
के विधायक कंवर लाल मीणा को एक मामले में तीन साल की सजा होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य
घोषित कर दिया गया हैं।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने श्री कंवरलाल को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से दोष सिद्धी की तारीख से अयोग्य कर दिया। श्री देवनानी ने बताया कि शुक्रवार को सुबह साढ़े दस बजे महाधिवक्ता की विधिक राय प्राप्त होते ही श्री कंवरलाल की सदस्यता अयोग्य कर दी गई।
उन्होंने बताया कि अंता से विधायक कंवरलाल दोष सिद्धी की दिनांक से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ई) सहपठित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत निरर्हित (अयोग्य) हो गए है। उन्होंने बताया कि इससे राजस्थान विधानसभा में एक स्थान अंता रिक्त हो गया है।
उल्लेखनीय है कि कंवरलाल मीणा को करीब बीस साल पुराने एसडीएम को पिस्टल दिखाने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में तीन साल की सजा हुई थी और इस मामले में गत सात मई को उच्चत्तम न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद श्री मीणा ने 21 मई को झालावाड़ा जिले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) कोर्ट मनोहरथाना में आत्मसमर्पण कर दिया था और इसके बाद विधायक को जेल भेज दिया गया। तीन फरवरी 2005 को झालावाड़ ज़िले के मनोहर थाना क्षेत्र में उपसरपंच चुनाव के दौरान श्री मीणा ने एसडीएम रामनिवास मेहता को पिस्तौल दिखाकर वोटों की दुबारा गिनती कराने के लिए धमकी दी थी। इस मामले में निचली अदालत में वह वर्ष 2018 में बरी हो गए थे लेकिन एडीजे कोर्ट अकलेरा ने 2020 में उन्हें दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई। इसके बाद श्री मीणा ने उच्च न्यायालय की शरण ली लेकिन वहां भी श्री मीणा को राहत नहीं मिली और उच्च न्यायालय ने गत एक मई को यह सजा बरकरार रखी और इसके बाद उच्चत्तम न्यायालय से भी उन्हें राहत नहीं मिली।
कंवरलाल मीणा के विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित होने के बाद श्री देवनानी ने विपक्ष द्वारा लगाये गये आरोपों पर कहा कि वह किसी भी प्रकार के दबाव में कार्य नहीं करते है। उन्होंंने कहा कि वह किसी भी मामले में उससे सम्बंधित प्रत्येक पहलू का गहन अध्ययन करके ही विधि सम्मत और न्याय सम्मत ही निर्णय लेते है। इससे पहले भी विधानसभा से संबंधित अनेक विषयों पर विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्षों ने बहुत अधिक समय लिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
श्री देवनानी ने कहा कि विधायक कंवरलाल के संबंध में न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले के दिन ही राज्य के महाधिवक्ता को विधिक राय दिये जाने के लिये निर्दिष्ट कर दिया गया था। ऐसे मामलों में दोष सिद्धी की दिनांक से ही विधानसभा सदस्य, विधानसभा की सदस्यता से निरर्हित हो जाता है। विधानसभा क्षेत्र के रिक्ति होने की सूचना राजस्थान विधानसभा द्वारा जारी की जाती है। श्री देवनानी ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 177 में राज्य के महाधिवक्ता को विधानसभा के सदन में कार्रवाई में भाग लेने और राय देने का अधिकार होता है।
जोरा
वार्ता