राज्य » राजस्थानPosted at: Jun 17 2025 11:33PM भारत एक बड़ा हिस्सा मरूस्थलीकरण के कारण चुनौतियों का कर रहा है सामना-यादवजोधपुर 17 जून (वार्ता) केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि भारत की भूमि का एक बड़ा हिस्सा मरूस्थलीकरण के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसका मुख्य कारण असंवहनीय कृषि पद्धतियां, यूरिया जैसे उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग और अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग है और ऐसी प्रणालियां न केवल भूमि को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए भी खतरा पैदा करती हैं। श्री यादव मंगलवार को यहां विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस 2025 के अवसर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद शुष्क वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप, सरकार ने पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने, सूखे से निपटने और जैव विविधता के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वस्थ भूमि क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने सभी देशों से भूमि क्षरण से निपटने के प्रयासों में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए जो कदम पारिस्थितिक संतुलन को बढावा देने में मदद कर सकते हैं उनमें अमृत सरोवर: इसका उद्देश्य मरुस्थलीकरण की रोकथाम और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए जलाशयों को पुनर्जीवित करना है। मातृ वन: समुदायों को, विशेष रूप से अरावली क्षेत्र में, अपनी माताओं के नाम पर पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे प्रकृति के साथ गहरा संबंध विकसित हो। एक पेड़ मां के नाम: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया एक राष्ट्रव्यापी अभियान, जिसमें नागरिक अपनी माताओं के सम्मान में पेड़ लगाते हैं, जो 'धरती माता' के प्रति सम्मान का प्रतीक है शामिल हैं। श्री यादव ने कहा कि यह पहल केवल पेड़ लगाने के बारे में नहीं हैं बल्कि पारिस्थितिक संतुलन को बढावा देने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के बारे में हैं। उन्होंने कहा कि 29 जिलों में 700 किलोमीटर तक फैली अरावली पर्वत श्रृंखला का पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। श्री यादव ने इस बात पर जोर दिया कि अरावली न केवल मरूस्थलीकरण को रोकने वाला एक प्राकृतिक माध्यम है बल्कि भारत की सभ्यता और विरासत का उद्गम स्थल भी है। उन्होंने स्थानीय समुदायों से संरक्षण के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने और सहयोगात्मक कार्यों के माध्यम से क्षरित क्षेत्रों को बढावा देने का आग्रह किया। श्री यादव ने 2047 के लक्ष्यों की ओर संकेत देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि भारत आर्थिक विकास के साथ पारिस्थितिक स्थिरता को एकीकृत करके अपने हरित अर्थव्यवस्था स्थापित करेगा। उन्होंने दोहराया कि राष्ट्र के विकास की दिशा पारिस्थितिक संरक्षण के साथ तालमेल बिठाना होगा, जिससे विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन सुनिश्चित होगा। इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मरुस्थलीकरण की रोकथाम और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में अरावली पर्वत श्रृंखला की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। श्री शेखावत ने कहा कि जहां वैश्विक वन क्षेत्र में गिरावट आ रही है वहीं भारत ने अपने वन क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने कहा कि अरावली पर्वत श्रृंखला जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण और जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह थार रेगिस्तान के क्षेत्र में वृद्धि को रोकने वाला एक प्राकृतिक अवरोधक है जो पूर्वी राजस्थान, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जैसे क्षेत्रों की रक्षा करती है। उन्होंने कहा “हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। अरावली ने हजारों सालों से हमारी सभ्यता को बनाए रखा है और यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें।” उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा में स्थानीय समुदायों के योगदान को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा “कई व्यक्तियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है जो सतर्क पर्यावरण संरक्षण की भावना को दर्शाता है।”जोरावार्ता