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राज्य


देवव्रतजी की अध्यक्षता में जीटीयू का दीक्षांत समारोह आयोजित

अहमदाबाद 28 जनवरी (वार्ता) गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल की उपस्थिति में गुजरात टेक्नोलॉजिकल युनिवर्सिटी (जीटीयू) का 14वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को आयोजित किया गया।
श्री देवव्रत ने जीटीयू के 14वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों, शिक्षकों और माता-पिता को प्रेरणादायी मार्गदर्शन देते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी तभी अर्थपूर्ण बनती है जब वह मानवता और जीवनमूल्यों के साथ जुड़ी हो। उन्होंने कहा कि टेक्निकल प्रगति के साथ नैतिकता, ईमानदारी और करूणा जैसे जीवनमूल्य भी अपनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं है बल्कि जीवन के नये अध्याय का आरम्भ है। शिक्षण का अंतिम उद्देश्य सिर्फ भौतिक सुख प्राप्त करना नहीं है। वरन यह मानवता के उच्चतम मूल्यों को आत्मसात करने का है। जब तक हम शिक्षण को राष्ट्रहित के साथ नहीं जोड़ेंगे तब तक यह अधूरा है।
राज्यपाल ने कुल की प्रतिष्ठा बढ़े, समाज का गौरव बढ़े और भारत का वैभव बढ़े, ऐसा जीवन जीने का अनुरोध किया। उन्होंने विद्यार्थियों से जिम्मेदार नागरिक बनने का अनुरोध करते हुए कहा कि राष्ट्र के प्रति योगदान ही शिक्षण का सच्चा उद्देश्य है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह अपनी प्रतिभा और ज्ञान को राष्ट्र निर्माण और समाज के कल्याण पर समर्पित करें। इस अवसर पर राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल, लार्सन एंड टुब्रो के डायरेक्टर एवं उपाध्यक्ष जयंत पाटिल, जीटीयू के कुलपति डॉ. राजुल गज्जर, टेक्निकल शिक्षण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुनयना तोमर और अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
श्री आचार्य देवव्रत ने भारत के वैभवी इतिहास के अतीत की महान उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत प्राचीन समय में ‘विश्वगुरु’ और ‘सोने की चिड़िया’ था। गांव-गांव में आत्मनिर्भरता के उदाहरण दिए जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी कुशलता से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता था। भारतीय संस्कृति की महान विरासत को अपनाने और गुलामी की मानसिकता से बाहर आने का उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी के स्टार्टअप इंडिया अभियान की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने जीटीयु के योगदान और विद्यार्थियों के नवाचार की भावना की सराहना की। इस अवसर पर उन्होंने विश्वास जताया कि जीटीयू के विद्यार्थी टेक्निकल और नैतिक मूल्यों के साथ भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के संकल्प को साकार करेंगे।
डिग्री और मेडल्स प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने भरोसा जताया कि विद्यार्थियों की सफलता हमारे देश की प्रगति और विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगी।
श्री ऋषिकेशभाई पटेल ने इस अवसर पर डिग्री-मेडल्स प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को अभिनंदन देते हुए कहा कि दीक्षा प्राप्त कर लेने से शिक्षा का अंत नहीं होता बल्कि विद्यार्थी के रूप में प्राप्त ज्ञान का समाज के लिए उपयोग करने समय अब शुरु होगा। उन्होंने कहा कि भारत में ज्ञान, संस्कृति और शास्त्रों की उज्जवल परम्परा रही है। विज्ञान, गणित, चिकित्सा और एटोमिक एनर्जी सहित तमाम क्षेत्रों में भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा किए गए शोध-संशोधन का हमारे शास्त्रों में उल्लेख है।
उन्होंने कहा कि 19वीं सदी ‘मनी पावर’ की सदी थी। 20वीं सदी ‘नॉलेज’ की सदी थी और अब 21वीं सदी उद्योग की सदी है। वर्षों पूर्व हमारे शास्त्रों में की गई अनेक कल्पनाएं और अब तक मात्र फिल्मों में फिक्शन के तौर पर देखी गई आर्टिफिश्यल इंटेलीजंस और रोबोटिक जैसी घटनाएं अब वास्तविकता बन रही हैं।
श्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का जो संकल्प लिया है, इस स्वर्णिम संकल्प को साकार करने का सौभाग्य और जिम्मेदारी आज के युवाओं की है। आज विश्व की अनेक बड़ी कम्पनियों के सीईओ. मूलत: भारतीय हैं। तब, बड़े-बुजुर्गों द्वारा अर्जित ज्ञान की परम्परा को उज्जवल बनाने और विकसित भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का श्री ऋषिकेशभाई पटेल ने सभी दीक्षार्थियों से अनुरोध किया।
एल.एंड.टी. के डायरेक्टर और वाइस प्रेसिडेंट जयंत पाटिल ने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लिए यह ‘इंडिया से भारत’ तक की यात्रा है। उन्होंने कहा कि इतिहास श्रेष्ठ शिक्षक है और गलतियों से हमेशा सीखना चाहिए। हड़प्पा काल में लोथल वैश्विक व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र था। तब मध्यकालीन युग में सूरत में जहाज निर्माण का उद्योग जबर्दस्त चलता था। भारत की यह विरासत आज पुन:स्थापित हो रही है। उन्होंने कहा कि 2500 वर्ष पूर्व आंत्रप्रिन्यॉर का विश्व में डंका बजता था। भारत की खेती, हीरा और कपड़ा क्षेत्र में विश्वविख्यात है।
जीटीयु के कुलपति डॉ. राजुल गज्जर ने विश्वविद्यालय की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि 17 हजार से ज्यादा फैकल्टी, 430 से ज्यादा कॉलेज और 2,25,000 से ज्यादा विद्यार्थियों के साथ इस युनिवर्सिटी ने राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूट अचिवमेंट 2021 में राज्य में प्रथम रैंक और देश की सरकारी युनिवर्सिटियों में सातवां रैंक प्राप्त किया है। इंडस्ट्रीज, इनोवेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर के त्रिवेणी संगम से इस युनिवर्सिटी ने विद्यार्थियों के विकास के साथ रोजगार का सृजन किया है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के अंतर्गत एक नवीनतम पहल के तौर पर आज डिग्री प्राप्त करने वाले तमाम विद्यार्थी उनके प्रमाण पत्र सीधे उनके डिजि-लॉकर अकाउंट में देख सकेंगे। जीटीयु के रजिस्ट्रार डॉ. के.एन. खैर ने स्वागत सम्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में नये अध्याय का आरम्भ हुआ है। उन्होंने शिक्षा और संस्कारों से राष्ट्र को गौरव दिलवाकर विकसित भारतएट2047 के लिए प्रतिबद्ध होने को कहा। कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत तथा मंत्री श्री ऋषिकेशभाई पटेल ने विद्यार्थियों के स्टार्ट अप टेक्नोलॉजी से संबंधित स्टॉल की मुलाकात की। इस अवसर पर उच्च शिक्षा और टेक्निकल विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सुनयना तोमर, जीटीयुए के प्राध्यापक, शिक्षण विभाग के अधिकारीगण और विद्यार्थी तथा उनके परिजन भी उपस्थित रहे।
अनिल , जांगिड़
वार्ता
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