राज्यPosted at: May 21 2025 3:26PM गिर की शान ‘एशियाई शेरों’ की संख्या बढ़कर हुई 891: पटेलगांधीनगर, 21 मई (वार्ता) गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बुधवार को गांधीनगर में राज्य में कराई गई 16वीं एशियाई शेरों की गणना के आंकड़ों की घोषणा करते हुए बताया कि राज्य में गिर की शान ‘एशियाई शेरों’ की अनुमानित संख्या 891 हो गयी है।श्री पटेल ने कहा कि इस 16वीं गणना के आंकड़ों के अनुसार एशियाई शेरों की कुल संख्या 891 पाई गई है, जिसमें 196 नर, 330 मादा और उप-वयस्क तथा शावक शामिल हैं।राज्य सरकार के वन विभाग की ओर से हर पांच साल में ‘डायरेक्ट बीट वेरिफिकेशन’ यानी ब्लॉक काउंट पद्धति से शेरों की आबादी की गणना की जाती है। इस वर्ष 10 से 13 मई के दौरान 11 जिलों की 58 तहसीलों के 35 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वनकर्मियों, सरपंचों एवं ग्रामीणों सहित 3854 लोग गणना के इस कार्य में शामिल हुए।मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा शेरों की आबादी के आंकड़ों की घोषणा के अवसर पर वन मंत्री मुलुभाई बेरा, राज्य मंत्री मुकेश पटेल, मुख्य सचिव पंकज जोशी और मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एम.के. दास भी मौजूद रहे।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में शेरों की आबादी का अनुमान लगाने पिछली परंपरागत पद्धति को बदलकर ‘टोटल काउंट बाई डायरेक्ट साइटिंग एट ब्लॉक सिस्टम’ पद्धति कार्यान्वित की थी।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एशियाई शेरों के दीर्घकालिक संरक्षण एवं संवर्धन के लिए की गई ‘प्रोजेक्ट लायन’ की घोषणा के अंतर्गत हाल ही में गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की बैठक में ‘प्रोजेक्ट लायन 2047’ के भविष्योन्मुखी आयोजन के संबंध में भी मार्गदर्शन दिया।श्री पटेल ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रोजेक्ट लायन 2047 शेरों की देखभाल, संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को बेहतर तरीके से साकार करेगा।मुख्यमंत्री ने यह साफ किया कि भौगोलिक परिस्थिति और जलवायु की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति सरकार के सतर्क और सतत दृष्टिकोण से ही शेरों की आबादी में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।उन्होंने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि 2001 में शेरों की संख्या 327, 2005 में 359, 2010 में 411, 2015 में 523 और 2020 में 674 थी, जो अब बढ़कर 891 हो गई है।मुख्यमंत्री ने शेरों की आबादी का अनुमान लगाने में उपयोग में ली गई मॉडर्न टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से बताया। व्यक्तिगत पहचान में मदद के उद्देश्य से तस्वीरें लेने के लिए डिजिटल कैमरे और कैमरा ट्रैप्स जैसे विभिन्न तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया गया। कुछ शेरों को रेडियो कॉलर भी लगाया गया था, जिससे उस शेर और उसके समूह की लोकेशन का पता लगाने में मदद मिली थी।इसके अलावा, शेर अवलोकन की रीयल टाइम डेटा एंट्री करने में ‘ई-गुजफॉरेस्ट’ एप्लीकेशन सहायक सिद्ध हुआ, जिसमें जीपीएस लोकेशन और तस्वीरों का समावेश होने से सटीकता और दक्षता में वृद्धि हुई। जीआईएस सॉफ्टवेयर का उपयोग सर्वेक्षण क्षेत्रों को रेखांकित करने और शेरों की गतिविधियों, वितरण पैटर्न और आवास उपयोग को ट्रैक करने के लिए विस्तृत नक्शा विकसित करने में किया गया। आवश्यकता पड़ने पर तस्वीरों का उपयोग कर शेरों की व्यक्तिगत पहचान करने में सक्षम एआई-आधारित सॉफ्टवेयर का भी उपयोग किया गया है।प्रारंभ में वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर सचिव संजीव कुमार ने वन विभाग द्वारा शेरों की जनसंख्या का अनुमान लगाने के लिए त्रिस्तरीय काउंट पद्धति से किए गए डेटा एनालिसिस और रीयल लायन ट्रैकिंग की जानकारी दी।इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख डॉ. ए.पी. सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षण डॉ. जयपाल सिंह और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।अनिल.श्रवण वार्ता