राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: May 18 2025 6:44PM जलवायु परिवर्तन का आम और लीची की फसल पर घातक प्रभावसहारनपुर, 18 मई (वार्ता) जलवायु परिवर्तन का बागवानी खासकर लीची और आम की फसलों पर इस बार बहुत बुरा असर हुआ है। फल उत्पादकों और उद्यान विभाग के शुरूआती आंकलन के मुताबिक फसल में 15-20 फीसद तक की गिरावट रह सकती है। उत्पादकों ने एहतियाती उपाय और रोग के खिलाफ उपचारात्मक कदम न उठाए होते तो नुकसान 40 फीसद तक हो सकता है। सहारनपुर का बेहट क्षेत्रफल पट्टी के रूप में विकसित है। जहां के 26 हजार 600 हैक्टेयर क्षेत्रफल में आम की पैदावार होती है। सोलह गांवों के किसानों को उद्यान विभाग फल ढकने वाले थैले वितरित करेगा। उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह ने आज बताया कि विभाग करीब तीन सौ बाग मालिकों को 67 हजार 200 थैले वितरित करेगा। इस थैले को पेडों पर लगे आम को ढका जाएगा। इससे फसल बढ़ेगी। फल का आकार, और गुणवत्ता में वृद्धि होगी। फल स्वास्थ्य यानि निरोगी होगा। बेहट क्षेत्र के बाग मालिक सचिन जैन ने बताया कि विगत तीन वर्षों से मौसम बिगड़ रहा है। तापमान में उतार-चढ़ाव से आम की फसल प्रभावित हो रही है। मार्च-अप्रैल में कभी तापमान 30 डिग्री सेन्टीग्रेड हो जाता है तो बारिश के कारण अथवा जलवायु बदलाव के चलते तापमान में गिरावट आ जाती है। आर्द्रता भी बढ़ती घटती है। आम की अगेती प्रजाति ज्यादा प्रभावित होती है। देशी आम पर कम तो दशहरी, लंगडा, चौसा की फसल पर भी बुरा असर पड़ता दिख रहा है।वुड कार्विंग एक्सपोर्टर असलम के बाग में भी 15-20 फीसद पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। वह उपचार के साथ-साथ सावधानी भी बरत रहे है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि सहारनपुर से बड़ी मात्रा में आम का एक्सपोर्ट होता है। विदेशों में यहां के आम के भाव आठ सौ रुपये प्रति किग्रा दर से मिलते है। उन्होंने बताया कि बाग मालिकों ने समय रहते सावधानियां बरती है और रोग लगने पर कीटनाशकों का छिडकाव कराया है। फिर भी 15 से 20 फीसल फसल कम होने की संभावना है। सं सोनियावार्ता