Wednesday, Jun 25 2025 | Time 10:55 Hrs(IST)
राज्य » उत्तर प्रदेश


महोबा में फिर शुरु हुयी चंद्रावल नदी की खोज

महोबा 20 मई (वार्ता) उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा जिले में जल संरक्षण अभियान के तहत एक बार फिर लुप्तप्राय चंन्द्रावल नदी को खोजने की कवायद शुरू की गयी है।
जिला प्रशासन ने ‘कैच द रैन’ योजना के तहत नदी को पुनर्जीवित कर सदानीरा बनाने के लिए उसके उदगम स्थल और जल प्रवाह क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कर साफ सुथरा करने का कार्य आरम्भ कराया है। मंगलवार से शुरू हुये इस कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या में श्रमिकों को लगाकर भागीरथी की तलाश शुरू की गयी है।
बुंदेलखंड में अवर्षा, भू जल स्तर में गिरावट के कारण साल दर साल गहराते जल संकट से निबटने को यहां पानी के प्राचीन पारंपरिक श्रोतों को संरक्षित करने ओर उन्हें सवारने के क्रम में महोबा की चंन्द्रावल नदी को उसका पुराना वैभव लोटाने का कार्य जिलाधिकारी गजल भारद्वाज के निर्देशन में आरम्भ हुआ है।
इसके तहत मुख्यालय में चान्दों गाँव के समीप उदगम स्थल पर एक ख़ास कार्यक्रम आयोजित करके सूखी पड़ी नदी की जलधारा को जीवंत किये जाने का भागीरथी अनुष्ठान शुरू किया गया। डीएम ने इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगो की मौजूदगी के बीच विधिवत मंत्रोच्चार के साथ भूमि का पूजन ओर अनुष्ठान किया तथा फावड़ा चला कर कार्य की शुरुआत कराई। उन्होंने पानी के प्राचीन परम्परागत श्रोतो के महत्व पर प्रकाश डाला ओर लोगो को जल संरक्षण की शपथ भी दिलाई।
जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने कहा कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या के समाधान के लिए प्राचीन प्राकृतिक संसाधनो का उपयोग से ही सम्भव है। यही वजह है की यहां गत अनेक वर्षो से उपेक्षित पड़े जल श्रोतो नदियों, सरोवरो, कुएँ, बावड़ियों को उनका प्राचीन स्वरूप देने ओर उन्हें उपयोगी बनाये जाने की जरूरत महसूस की गयी है। जिलाधिकारी ने बताया की महोबा में जल संरक्षण अभियान के तहत लुप्तप्राय 8 नदियों को पुनर्जीवित किये जाने की योजना बनाई गयी है. जिसमे उक्त नदियों को अतिक्रमण मुक्त एवं सिल्ट सफाई कराके सदानीरा बनाया जाएगा।
इसमें नदी किनारे दोनों ओर वृक्षारोपण भी कराया जाएगा, ताकि जल संरक्षण में मदद मिल सके। इस अभियान की शुरुआत चंन्द्रावल नदी से की गयी है। उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड में महोबा एवं आसपास के पठारी क्षेत्र को अपनी कल -कल बहती जलराशि से अभिसिंचित कर संतृप्त करने ओर भूमि को उर्वरा बनाने वाली चंन्द्रावल नदी बीते कोई चार दशक में इतिहास का अध्याय बन गयी है। विकास के नाम पर जंगलों को चौपट कर चहुओर कंकरीट की हवेलिया ख़डी कर दिए और जीवन के मूल जलतत्व के प्रति आमजन की उपेक्षा व् उदासीनता भारी पड़ी तो दूसरी नदियों की तरह यह नदी भी धीरे धीरे अपना अस्तित्व खो बैठी।
वन माफिया द्वारा नदी के उदगम स्थल ऊदल वन रेपुरा तालाब पर स्थित अपार वन सम्पदा का विनाश किये जाने और जल प्रवाह क्षेत्र में जगह जगह हुये अतिक्रमण ने चंन्द्रावल की जल धारा को पूरी तरह सूखा दिया.महोबा से आरम्भ होकर हमीरपुर के मौदहा क्षेत्र से होते हुये करीब 80 किलो मीटर का सफर तय करके बाँदा की केन नदी में मिलने वाली चंन्द्रावल नदी बीते कोई चार दशक से अब बरसात के दिनों में ही समझ में आती है. ज़ब पानी की प्रचुरता के चलते इसे एक बड़े नाले नाला के स्वरुप में पहचाना गया।
सं प्रदीप
वार्ता