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किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं, पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि: सीतारमण

किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं, पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि: सीतारमण

नयी दिल्ली 13 फरवरी (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया गया है और किसी भी क्षेत्र या राज्य के लिए धनराशि के आवंटन में कोई कमी नहीं की गयी है।

श्रीमती सीतारमण ने राज्यसभा में आम बजट पर करीब तीन दिन चली चर्चा का जोरदार जबाव दे रही थी। इसमें 90 सदस्यों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि बजट बनाने की प्रक्रिया 2021-22 से भी पूरी तरह पारदर्शी बनायी गयी है और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) जैसे उपक्रमों द्वारा लिये जाने वाले कर्जाें को बजट में जोड़कर इसकी विश्वसनीयता बढ़ायी गयी तथा आज राज्यों को केन्द्र से मिलने वाली राशि के प्रवाह को प्रौद्योगिकी के माध्यम से इतना स्पष्ट किया गया है कि किसी भी समय कोई भी देख सकता है कि राज्य कितना व्यय कर सका है और कितनी धनराशि उसके पास है।

वित्त मंत्री ने इसबार के बजट में राजकोषीय घाटे को 4.4 प्रतिशत तक सीमित रखने के लिए पूंजीगत और अन्य व्यय में कटौती के विपक्ष के आरोपों को आंकड़ों के साथ खारिज करते हुये कहा कि जहां तक पूंजीगत व्यय की बात है तो बजट में प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.49 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2024-25 के संशोधित अनुमान में यह 13.18 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा अगले वित्त वर्ष में प्रस्तावित पूंजीगत व्यय को जोड़ देते तो यह 19.80 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा।

बजट को बिहार का बजट बताये जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें राज्य का ध्यान रखा गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को हस्तांतरित किए जा रहे कुल संसाधन 25.01 लाख करोड़ रुपये हैं जो 2023-24 की जुलना में 4.92 लाख करोड़ रुपये अधिक है। उन्होंने साफ तौर पर कहा, “ केंद्र की ओर से राज्यों को दिए जाने वाले हिस्से में कटौती नहीं की गई है, बल्कि इसमें पर्याप्त वृद्धि की गई है।”

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में गिरावट के कारण के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा कई राज्यों में सूखे या बाढ़ तथा चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता के प्रभावी होने से व्यय में कमी के वजह से हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा “ एनएसओ के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था वास्तविक रूप से 6.4 प्रतिशत और नाॅमिनल 9.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, इसलिए बजट के लिए हमने अपने लक्ष्य ऐसे रखे हैं ताकि हम विकास को अपनी गति दे सकें, समावेशी विकास को सुरक्षित कर सकें, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा दे सकें, घरेलू भावनाओं को ऊपर उठा सकें, साथ ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय मध्यम वर्ग की खर्च करने की शक्ति को बढ़ा सकें।” उन्होंने कहा कि गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं की प्रगति को बढ़ाने के उद्देश्य से कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि और संबद्धित क्षेत्र के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास के लिए 2.67 लाख करोड़ रुपये, शहरी विकास और परिवहन के लिए 6.45 लाख करोड़ रुपये , स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए 2.27 लाख करोड़ रुपये तथा पेंशन को छोड़कर रक्षा के लिए 4.92 लाख करोड़ रुपये है।

पश्चिम बंगाल, तेलंगना, तमिलनाडु और केरल के कई सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान मनरेगा, पीएम आवास और अन्य केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की राशि संबंधित राज्यों को नहीं जारी किये जाने को लेकर वित्त मंत्री के जबाव से सदन में काफी टोकाटाकी की गयी और इस दौरान कांग्रेस के साथ ही कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने वर्हिगमन किया। वित्त मंत्री ने कहा कि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिए पहले आवंटित धनराशि के व्यय प्रमाण पत्र न:न मिलने और उनमें भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद भी धन मांगा जाता है। इस पर तृणमूल कांग्रेस के देरेक ओब्राईन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया और कहा कि सदन में किसी राज्य को लेकर अपशब्द नहीं कहा जा सकता है। सदन के नेता और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि वित्त मंत्री हर सदस्यों द्वारा उठाये गये मुद्दों का सरकार की ओर से जबाव दे रही हैं। विपक्ष को जबाव सुनने का माद्दा होना चाहिए। उपसभापति द्वारा व्यवस्था के प्रश्न को खारिज किये जाने का विरोध करते हुये वर्हिगमन कर गये। इसके बाद श्रीमती सीतारमण ने अपने जबाव को जारी रखा।

वित्त मंत्री ने अपने करीब दो घंटे के जबाव में निर्यात बाजार की स्थिति, रुपये की विनिमय दर, कर सुधार और जीएसटी, रोजगार आदि भी उल्लेख किया। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा श्रम बाजार के नियमित सर्वे में बेरोजगारी की दर 3.2 प्रतिशत रहने पर सवाल खड़ा किये जाने के जबाव में कहा कि इस सर्वे में बहुत से घटक होते हैं। वित्त मंत्री ने युवाओं संबंधी एकआध घटक को लेकर पूर्व वित्त मंत्री ने सवाल उठाया है जबकि इस सच्चाई को वह भी जानते हैं। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की दर घटकर कुल आबादी की 3.2 प्रतिशत पर आ गयी है। उन्होंने नई रोजगार सृजन योजना तथा प्रधानमंत्री रोजगार योजना में अंतर को लेकर श्री चिदंबरम द्वारा उठाये गये सवाल पर कहा कि जुलाई 2024 बजट में घोषित नई रोजगार सृजन योजना में 3 अलग-अलग योजनाएं हैं। इसमें पहली योजना पहली बार नौकरी चाहने वालों का ख्याल रखेगी; दूसरी नौकरी सृजन और विनिर्माण से संबंधित है, जहां नियोक्ता को प्रोत्साहन दिया जाता है। तीसरी योजना नियोक्ताओं का समर्थन करने के लिए है। यह सभी योजनायें जारी है जबकि इस बजट में घोषित प्रधानमंत्री रोजगार योजना एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर रोजगार को बढ़ाने पर केन्द्रित है।

महंगाई को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि जनवी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.31 प्रतिशत पर आ गयी है जो भारतीय रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे के करीब है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के दबाव के बड़ा कारण बने टमाटर, प्याज आदि के भाव कम हुये हैं।

उन्होंने कहा कि दुनिया में मुक्त व्यापार की बात हर देश कर रहा है लेकिन आक्रामक शुल्क और गैर शुल्क बाधायें खड़ी करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और बहुपक्षीय व्यापार ढांचा कमजोर हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि आज के दौर में द्विपक्षीय व्यापार समझौते और क्षेत्रीय समझौते ही स्थिति को नियंत्रित कर रहे हैं। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कई भारत की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण वस्तुओं का व्यापार अनिश्चिता के दौर से गुजर रहा है और बजट में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गयी है कि देश उभरती परिस्थितियों के लिए तैयार रहे। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के दौर के बाद हम बाजार विखंडन की स्थिति का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद देश में सरकारी उधारी बढ़ गई है लेकिन हम ऋण प्रबंधन का ऐसा लक्ष्य लेकर चल रहे हैं मार्च 2031 तक सार्वजनिक कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 50 प्रतिशत के आसपास समिति रहे जो अभी करीब 58 प्रतिशत है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट ऐसे कठिन समय में बनाया गया है, जब अनुमानों या पूर्वानुमानों से परे गंभीर बाहरी चुनौतियां हैं। इसके बावजूद, हमने देश के हित को सर्वोच्च रखते हुए जितना संभव हो सके, आकलन को इस तरह रखने की कोशिश की है कि हर ओर विकास हो सके।

वित्त मंत्री ने वर्ष 2008 के वैश्विक ऋण संकट और कोविड के समय भारत के आर्थिक प्रबंध की तुलना करते हुये कहा कि पहले की स्थिति में भारत की गिनती पांच सबसे कमजोर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में होने लगी थी जबकि कोविड के समय लोगों को समर्थन देने की नीति अपनीयी और आज भारत दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। उन्होंने कहा “ मैं इस तथ्य को रेखांकित करना चाहती हूं कि यह बजट बहुत कठिन समय में बनाया गया है। चुनौतियां, विशेष रूप से बाहरी चुनौतियां बहुत गंभीर हैं, जिनमें से अधिकांश किसी भी अनुमान या पूर्वानुमान से परे हैं। ऐसे कोई मॉडल नहीं हैं जिन्हें आप बना सकें और समझ सकें कि रुझान कैसे होंगे क्योंकि वे बहुत गतिशील हैं। इसके बावजूद, हमने भारत के हितों को सर्वोच्च रखते हुए, आकलन को यथासंभव वास्तविकता के करीब रखने की कोशिश की है।”

उन्होंने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट को लेकर कहा कि इसमें कई फैक्टर काम करते हैं और आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दुनियाभर की प्रमुख मुद्रायें कमजोर हुयी है। इंडोनेशिया से लेकर जी-10 करेंसी, जापानी येन, ब्रिटिश पाउंड, यूरो तक की विनिमय दरें गिरी हैं। इनमें भारतीय मुद्रा की गिरावट अपेक्षाकृत कम है।

उन्होंने कहा कि फिल्मों पर मनोरंजन कर केंद्र नहीं लगाता है। मनोरंजन कर राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसके अलावा, जीएसटी लागू होने के बाद फिल्म के टिकट पर लगने वाला कर कम हुआ है। 100 रुपये से ज्यादा कीमत वाली टिकट पर पहले 28 प्रतिशत का कर था, अब 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।

शेखर, मनोहर

वार्ता

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