नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (वार्ता) कांग्रेस ने कहा है कि देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) में प्लेसमेंट में कमी आना चिंताजनक है और इससे साबित होता है कि जब शीर्ष संस्थानों में यह हालात है तो देश की बाकी संस्थानों में पढ़ी लिखी आबादी को कैसे नौकरी मिलेगी।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि शीर्ष शिक्षण संस्थानों में प्लेसमेंट में आई कमी को उजागर करने संबंधी यह खबर एक शीर्ष अखबार ने दी है। उन्होंने कहा कि खबर में शिक्षा, महिला, बाल, युवा तथा खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने उच्च शिक्षा विभाग के अनुदान मांगों पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में यह आंकड़ा देते हुए बताया है कि देश के शीर्ष संस्थानो जैसे आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी में प्लेसमेंट में आई गिरावट चिंताजनक है।
आईआईटी देश का प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान है जहां सबसे प्रतिस्पर्धी प्रवेश प्रक्रिया होती है जो देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और छात्र आकर्षित करती है। इंजीनियरिंग को वैसे भी सबसे अधिक नौकरी योग्य डिग्रियों में से एक माना जाता है। अगर आईआईटी जैसे संस्थानों से हर पांच में से एक इंजीनियर नौकरी पाने में असमर्थ है तो इससे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि देश में बाकी पढ़े-लिखे युवाओं की बड़ी आबादी को रोजगार के कैसे मिलेगा। वास्तविकता यह है कि एनआईटी और आईआईटी जैसे संस्थानों में भी प्लेसमेंट में बड़ी गिरावट देखी जा रही है, जो देश में बड़े पैमाने पर नौकरी के बाजार में ठहराव की ओर इशारा करता है।
इसी तरह, हमारे एनआईटी से स्नातक होने वाले इंजीनियरों को मिलने वाले औसत वेतन पैकेज में गिरावट भी वेतन में स्थिरता की ओर इशारा करती है। सरकार द्वारा समय-समय पर किये जाने वाले श्रम बल सर्वेक्षण सिहत कई आँकड़े पहले ही इसका संकेत दे चुके हैं।
कांग्रेस कई वर्षों से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और वेतन स्थिरता के मुद्दे उठाती आ रही है। प्लेसमेंट डेटा यह साबित करता है कि यह संकट केवल अनौपचारिक क्षेत्र और ग्रामीण आबादी को प्रभावित नहीं कर रहे है बल्कि हमारे सबसे विशिष्ठ शैक्षणिक संस्थानों में भी संकट पैदा कर रहे हैं।
अभिनव, उप्रेती
वार्ता