नयी दिल्ली, 05 फरवरी (वार्ता) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक विभाग की एक अनुसंधान रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस सप्ताह की समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में ‘ठहराव’ को जारी रखेगी ।
एसबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई की नीतिगत ब्याज दर में अभी कटौती की संभावना नहीं है पर जून या अगस्त की समीक्षा में पहली कटौती हो सकती है।
मौद्रिक नीति समिति की वर्ष 2023-24 की अंतिम द्विमासिक समीक्षा बैठक इस सप्ताह छह-से आठ तारीख तक होगी। इस बैठक से पहले सोमवार को जारी अपनी अनुसंधान रिपोर्ट में एसबीआई के आर्थिक विभाग ने कहा है, “ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिका के गैर-कृषि क्षेत्र के रोजगार के आंकड़े और वेतन से नीतिगत ब्याज (रेपो) में कमी का चक्र शुरू होने उम्मीदों को तेजी से पीछे धकेल दिया है। फिलहाल दर में पहली कटौती जून से अगस्त, 2024 होने पर सबसे अच्छे दांव लग रहा है।”
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की रपो दर पिछली कई समीक्षा बैठकों से इस समय 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखी गयी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई का रुख अभी ‘उदार नीति को वापस लेने’वाला बना रहेगा, लेकिन आपात स्थिति में बैंकिंग क्षेत्र में नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) और एलसीआर (लिक्विडिटी कवरेज अनुपात) में कमी की जा सकती है। एलसीआर वह धन का वह अनुपात है जो बैंकों को अपने पास की तरल (नकद की तरह भुनायी जा सकने वाली सम्पत्तियों/निवेश) के बदले हमेशा जमा रखनी होती है ताकि उन्हें भुनाने से अचानक पैदा होने वाली नकदी की जरूरत से निपटा जा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2022 से दिसंबर 2023 के बीच खुदरा मुद्रास्फीति 2.10 अंक गिर कर 5.69 प्रतिशत पर आ गयी थी। इसी दौरान इसमें मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति (विनिर्मित उत्पादों की स्फीति) का भारित योगदान 1.59 अंक रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गिरावट आगे भी मजबूत बनी रही तो मुख्य मुद्रास्फीति में कमी का रुझान अधिक ठोस होगा।
मनोहर, उप्रेती
वार्ता