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विश्व प्रसिद्ध जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज की समाधि

विश्व प्रसिद्ध जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज की समाधि

राजनांदगांव, 18 फरवरी (वार्ता) विश्व प्रसिद्ध जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महामुनिराज ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित डोंगरगढ़ में सल्लेखना पूर्वक देह त्याग दिया। इस खबर से संपूर्ण जैन समाज में शोक की लहर है।

दिगंबर जैन अनुयायियों के बीच भगवान के समकक्ष पूजे जाने वाले श्री विद्यासागर जी महाराज ने डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र में रविवार तड़के लगभग ढाई बजे अंतिम सांस ली। वे 77 वर्ष के थे। कुछ दिनों से अस्वस्थता के बावजूद उन्होंने अपनी निर्धारित दिनचर्या और साधना का क्रम नहीं छोड़ा और सल्लेखना पूर्वक समाधि के उद्देश्य से पिछले दो दिनों से अन्न जल का भी त्याग कर दिया था।

चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र प्रबंधकों के अनुसार आचार्यश्री का अंतिम संस्कार आज दिन में एक बजे डोंगरगढ़ में ही किया जाएगा। आचार्यश्री अंतिम सांस तक सजग अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह त्यागी। समाधि के समय उनके साथ जैन मुनि योगसागर जी महाराज, समतासागर जी महाराज, प्रसादसागर जी महाराज संघ समेत उपस्थित थे। आचार्यश्री से दीक्षित हजारों की संख्या में ब्रह्मचारी भैया और दीदियां भी चंद्रगिरी में मौजूद हैं।

आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक राज्य के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। जैन धर्म के संस्कार और वैराग्य की भावना बचपन से ही उनके कार्यों में परिलक्षित होती थी और उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में मात्र 22 वर्ष की युवास्था में ही अपने गुरू आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ग्रहण की थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज ने अपने शिष्य मुनि विद्यासागर की कठिन तपस्या को देखते हुए उन्हें कुछ ही वर्षों में आचार्य पद सौंप दिया था। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज लगभग 45 वर्ष पहले मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में आए थे और इस अंचल में जैन समाज की भक्ति, सजगता और समर्पण के बीच अधिकांश समय इसी अंचल में बिताया।

आचार्यश्री ने अपने जीवनकाल में लगभग साढ़े तीन सौ मुनि और आर्यिका दीक्षाएं दी हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में ब्रह्मचारी भैया और दीदियां भी उनसे दीक्षित हैं। उनके शिष्य और देश के अनेक प्रसिद्ध जैन संत देश के विभिन्न अंचलों में पद विहार करते हुए धर्म की प्रभावना कर रहे हैं।

आचार्यश्री की अस्वस्थता के समाचार के चलते हजारों की संख्या में उनके अनुयायी पहले से ही डोंगरगढ़ पहुंच चुके थे। उनकी समाधि की सूचना के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में अनुयायी डोंगरगढ़ की तरफ रुख कर रहे हैं।

प्रशांत

वार्ता

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